हमास के साथ युद्ध में इजरायल ने पहली बार एक नए हथियार का प्रयोग किया है. इसे अमेरिका और इजरायल ने मिलकर बनाया है. इस हथियार का नाम ऐरो 3 है. ये इंटरसेप्टर हाइपर सोनिक बैलिस्टिक मिसाइल है. इजरायल ने यमन में हूती विद्रोहियों की ओर से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल को विफल किया है.
ऐरो 3, ऐरो 2 से अधिक ऊंचाई और तेजी से काम करता है. इसका प्रिंसिपल है ट्रैक और हिट टू किल. इसे खासतौर से बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है. 90 डिग्री ऊपर प्रक्षेपण करे तो ये 100 किलोमीटर टारगेट को हिट कर सकता है.
वहीं अगर कोई दुश्मन देश इजरायल पर लंबी दूरी के मिसाइल से हमला करता है तो अब वो दस बार सोचेगा.
इजरायल ने अपने दुश्मनों से बचने के लिए ऐसा एयर डिफेंस ढाल तैयार किया है कि लंबी दूरी के लिए ऐरो 3 तो कम दूरी के लिए आयरन डॉम को भेदना किसी के लिए आसान नहीं होगा.
कई पश्चिमी देशों ने इजराइल का समर्थन किया. इजराइल की जवाबी कार्रवाई में गाजा से दस लाख से अधिक नागरिक विस्थापित हो गए, क्षेत्र की घेराबंदी की गई और बिजली, पानी की आपूर्ति बंद करने के साथ-साथ मानवीय सहायता भी रोक दी गई. रूस और चीन ने अपने बयानों में संतुलन बनाने की कोशिश की, जिसमें इजराइल की प्रतिक्रिया की आलोचना शामिल थी.
संयुक्त राष्ट्र ने की संघर्ष रोकने की कोशिश
इजराइल और हमास के बीच युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लड़ाई रोकने के लिए आम सहमति तक पहुंचने में संघर्ष करना पड़ा. एक तरफ अमेरिका और दूसरी तरफ रूस और कभी-कभी चीन के वीटो के कारण प्रस्तावों का मसौदा तैयार करने के चार प्रयास विफल रहे.