हम हिटलर जरा दूजे किस्‍म के हैं! मिलिए नामीबिया के एडोल्‍फ हिटलर से जो बढ़ रहे हैं चुनावी जीत की तरफ

नामीबिया सन 1884 से 1915 के बीच जर्मनी का कब्‍जा था, जिसे उस समय जर्मन साउथ वेस्ट अफ्रीका कहा जाता था. इस दौरान जर्मनी ने देश पर अपना सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा, जिसमें चर्च, भाषा और शासन प्रणाली शामिल थे.

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  • नामीबिया के राजनेता एडॉल्फ हिटलर ऊनोना का नाम भले ही नाजी तानाशाह के नाम पर हो लेकिन व्यक्तित्व पूरी तरह अलग.
  • एडॉल्फ हिटलर नामीबिया की SWAPO के सदस्य हैं और ओशाना क्षेत्र के ओम्पुंड्जात् से चार बार चुने गए हैं.
  • उन्होंने रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाई है और अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया.
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नई दिल्‍ली:

जर्मनी के एडॉल्‍फ हिटलर का नाम अक्‍सर नफरत के साथ लिया जाता है और तानाशाही का अगर उदाहरण देना होता है तो बस हिटलर का ही नाम दिमाग में आता है. नाजी पार्टी के मुखिया और जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने लाखों लोगों की हत्या की, जिनमें बड़ी संख्या में यहूदी भी शामिल थे और जिन्हें होलोकॉस्ट के दौरान मौत के घाट उतारा गया. इसके अलावा उसने दुनिया भर के कई देशों को एक विनाशकारी युद्ध में धकेल दिया, जिससे उबरने में दशकों लग गए. अब दुनिया में फिर एक और हिटलर हैं जो एक देश पर शासन करने का सपना देख रहे हैं. जानिए कौन हैं यह और क्‍यों इस समय चर्चा में हैं. 

आज होने हैं नामीबिया में चुनाव 

बात हो रही है नामीबिया के एक राजनेता एडॉल्फ हिटलर ऊनोना की जो 26 नवंबर यानी बुधवार को दोबारा चुनाव जीतने की तैयारी में हैं. एडॉल्फ का जन्म दिसंबर 1965 में हुआ था, उस समय यह क्षेत्र ‘दक्षिण पश्चिम अफ्रीका' के नाम से जाना जाता था.  59 साल के यह एडॉल्‍फ हिटलर नामीबिया की सत्तारूढ़ सेंटर-लेफ्ट पार्टी ‘साउथ वेस्ट अफ्रीका पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन' (SWAPO) से ताल्‍लुक रखते हैं. यह पार्टी, जो नामीबिया की आजादी के बाद से सत्ता में है, उपनिवेशवाद और गोरे अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ लगातार अभियान चलाती रही है. 

एडॉल्फ नामीबिया के उत्तर में स्थित ओशाना क्षेत्र की ओम्पुंड्जा संसदीय क्षेत्र से आते हैं. यह छोटा सा निर्वाचन क्षेत्र 3,000 से भी कम मतदाताओं वाला है. एडॉल्फ इस सीट पर अपना चौथा कार्यकाल जीतने के करीब हैं. इससे पहले वे 2020, 2015 और 2004 में भी यहां से जीत चुके हैं.  एडॉल्फ को समुदाय से मजबूत समर्थन मिलता रहा है. वह रंगभेद (अपार्थाइड) के खिलाफ एक मुखर आवाज के रूप में जाने जाते हैं. साथ ही उन्‍हें जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े रहने और विकास पर ध्यान केंद्रित करने के कारण भी प्रसिद्धी मिली है.

क्‍यों मिला यह नाम 

लेकिन उन्‍हें उस नाम से क्‍यों नवाजा गया जिससे दुनिया सबसे ज्‍यादा नफरत करती है. इस पर एडॉल्फ ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि उनके पिता ने शायद उनका नाम जर्मन नेता (एडॉल्फ हिटलर) के नाम पर रखा था. हालांकि पिता को उस समय नाम की अहमियत नहीं मालूम थी. उन्होंने कहा, 'शायद मेरे पिता नहीं समझते थे कि एडॉल्फ हिटलर किसके लिए जाना जाता है. बचपन में मुझे यह नाम बिल्कुल सामान्य लगता था.' 

साल 2020 में एडॉल्फ ने ओम्पुंड्जा संसदीय क्षेत्र में 85 फीसदी वोट्स के साथ जीत दर्ज की थी. उन्हें 1,196 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को केवल 213 वोट ही मिले. उस समय उउनाना ने द नेमिबियन से इंटरव्‍यू में कहा था, 'मेरे पिता ने मेरा नाम एडॉल्फ हिटलर रखा था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मेरा स्वभाव या व्यक्तित्व जर्मनी वाले एडॉल्फ हिटलर जैसा है. हिटलर एक विवादित व्यक्ति था, जिसने दुनिया भर में लोगों को कैद किया और मारा. मैं उसके जैसा बिल्कुल नहीं हूं.' 

नाम बदलने का इरादा नहीं 

एडॉल्फ ने यह भी बताया कि बचपन में उन्हें अपने नाम के महत्व के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्‍यू में कहा था, 'जब मैं बड़ा हो रहा था, तब जाकर मुझे एहसास हुआ कि यह व्यक्ति पूरी दुनिया पर कब्जा करना चाहता था.' एडॉल्फ ने उस व्यक्ति से और नाजी विचारधारा से पूरी तरह दूरी बना ली है जिसके नाम पर उनका नाम रखा गया था. 

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एडॉल्फ ने यह भी बताया है कि नाम बदलने की उनकी कोई योजना नहीं है. उनकी पत्‍नी उन्हें एडॉल्फ कहती हैं और वह सार्वजनिक जीवन में और आधिकारिक दस्तावेजों में भी इसी नाम से जाने जाते हैं. उनका कहना है कि अब इसे बदलने में बहुत देर हो चुकी है.  उन्होंने कहा, 'मेरे पास यह नाम है, इसका मतलब यह नहीं कि मैं ओशाना पर कब्जा करना चाहता हूं. न ही इसका मतलब है कि मैं दुनिया पर राज करने की मंशा रखता हूं.' 

जर्मनी के कब्‍जे में था नामीबिया 

आपको बता दें कि नामीबिया सन 1884 से 1915 के बीच जर्मनी का कब्‍जा था, जिसे उस समय जर्मन साउथ वेस्ट अफ्रीका कहा जाता था. इस दौरान जर्मनी ने देश पर अपना सांस्कृतिक प्रभाव छोड़ा, जिसमें चर्च, भाषा और शासन प्रणाली शामिल थे. सन् 1904 से 1908 के बीच स्थानीय नामा, हेरोरो और सान समुदायों द्वारा किए गए विद्रोह के दौरान जर्मन साम्राज्य ने हजारों लोगों की हत्या कर दी थी,  जिसे कुछ इतिहासकार 'द फॉरगॉटन जेनोसाइड' (भूला हुआ नरसंहार) भी कहते हैं. कैजर विल्हेम द्वितीय के शासनकाल में किए गए इस दमन में करीब 70,000 लोगों के मारे जाने का अनुमान था. 

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