पाकिस्तान में 70 साल पुराना अहमदिया समुदाय का इबादत स्थल किया गया ध्वस्त

अहमदिया इबादत स्थल को ध्वस्त करने की कार्रवाई के दौरान पुलिस ने बगल के कब्रिस्तान में भी प्रवेश किया और दो कब्रों के पत्थर तोड़ दिए जिन पर शिलालेख थे. अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था.

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समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने इस कदम की निंदा की (FILE PHOTO)
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  • पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पुलिस ने अहमदिया समुदाय के 70 साल पुराने इबादत स्थल को ध्वस्त कर दिया.
  • यह घटना मंगलवार को लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर दूर गुजरांवाला जिले के बुटाला शर्म सिंह गांव में हुई.
  • जमात-ए-अहमदिया ने इसकी कड़ी निंदा की. पाक की संसद ने 1974 में इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया था.
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लाहौर:

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पुलिस ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के 70 साल पुराने एक इबादत स्थल को ध्वस्त कर दिया. समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने बुधवार को यह जानकारी दी. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने एक बयान में कहा, “चरमपंथियों के दबाव में पुलिस ने न केवल 70 साल पुराने अहमदिया इबादत स्थल ‘मेहराब' को ध्वस्त कर दिया बल्कि दो कब्रों के पत्थर तोड़कर उन्हें नुकसान भी पहुंचाया.” यह घटना मंगलवार को लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर दूर गुजरांवाला जिले के बुटाला शर्म सिंह गांव में हुई. बयान के मुताबिक, अहमदिया इबादत स्थल को ध्वस्त करने की कार्रवाई के दौरान पुलिस ने बगल के कब्रिस्तान में भी प्रवेश किया और दो कब्रों के पत्थर तोड़ दिए जिन पर शिलालेख थे.

संगठन के प्रवक्ता अमीर महमूद ने इस ‘अवैध कार्रवाई' की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस ने ‘70 साल पुराने अहमदी पूजा स्थल में अनुचित रूप से तोड़फोड़ की'. उन्होंने कहा कि पुलिस का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों के जीवन, संपत्ति और धार्मिक स्थलों की रक्षा करे फिर चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो. प्रवक्ता ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से घटना पर तत्काल संज्ञान लेने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि इबादत स्थल और अहमदी कब्रों को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के तहत जवाबदेह ठहराया जाए.

इस वजह से किया गया ध्वस्त

दूसरी ओर, पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इलाके के अहमदिया समुदाय को अपने इबादतगाह के इबादत कक्ष और कब्रों के पत्थरों को तोड़ने के लिए कहा गया था क्योंकि उन पर इस्लामी आयतें लिखी हुई थीं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई स्थानीय लोगों ने अहमदिया इबादतगाह और कब्रों पर इस्लामी आयतें लिखे होने पर भी आपत्ति जताई थी. अधिकारी ने बताया, “जब अहमदिया समुदाय ने आदेश का पालन नहीं किया, तो पुलिस ने अपने स्तर पर कार्रवाई की.” अहमदिया समुदाय खुद को मुसलमान मानता है लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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