रवीश कुमार का प्राइम टाइम: पश्चिमी मीडिया के कवर पर क्यों बदली मोदी और भारत की छवि?
प्रकाशित: जनवरी 24, 2020 09:00 PM IST | अवधि: 34:38
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इकोमनिस्ट के कवर की चर्चा हो रही है. टाइम के कवर पर डिवाइडर इन चीफ के बाद इकोनोमिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी के भारत को कंटीली तारों के ऊपर खिले कमल से पेश किया है. इनटालरेंट इंडिया लिखा है. कवर स्टोरी में लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी को लगता है कि भारत के मतदाता का एक हिस्सा उनकी इस बात से सहमत है कि जो मुसलमान हैं वो गद्दार हैं. मोदी इसी आधार पर मतदाताओं का निर्माण कर रहे हैं. आज़ादी से लेकर अब तक भारत ने हमेशा से लोकतंत्र के खतरों की बात को गलत साबित किया है. लेकिन जिस तरह से सोच समझ कर इसके सेकुलर ढांचे पर हमला हो रहा है वो पूरे राजनीतिक तंत्र को खतरे में डाल देने वाला है. वोटर को याद रखना चाहिए कि बीजेपी के ऐसे प्रयोग किए हैं जिससे बाकी माइनारिटी को नुकसान पहुंचा है, चाहे वो अनुसूचित जाति के हों या गैर हिन्दी भाषी हों. प्रधानमंत्री मोदी गांधी की अहिंसा की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. 23 मई 2015 के इकोनमिस्ट कवर पर पिछली बार जब प्रधानमंत्री छपे थे तो एक अकेला इस शहर में जैसा मुखड़ा मिला था. जैसे कोई मसीहा आया हो वो सब ठीक करने वाला है. अब उसी मसीहा के भारत की बात पत्रिका के कवर पर कंटीली तार के ज़रिए हो रही है.