प्राइम टाइम: राफेल विमान सौदे में नियम ताक़ पर रखे गए?

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  • प्रकाशित: फ़रवरी 11, 2019
राफेल मामले की कहानी 360 डिग्री घूमकर फिर से वहीं पहुंच गई है. क्या ऐसा सुना था आपने कि पहले प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में रक्षा मामले की मंत्रिमंडल समिति जिन शर्तों के साथ डील को पास करे, उसके कुछ दिनों बाद रक्षा मंत्रालय की समिति उन शर्तों को हटा दे. 11 फरवरी को 'द हिन्दू अखबार' में एन राम ने जो खुलासा किया है और उसके समर्थन में जो दस्तावेज़ छापे हैं वो बता रहे हैं कि राफेल डील में सब कुछ पाक-साफ नहीं है. आपको याद होगा कि 8 फरवरी को भी एन राम ने रिपोर्ट की थी. उससे अलग 11 फरवरी की रिपोर्ट कई सवालों को उठाती है. रक्षा ख़रीद प्रक्रिया 2013 के तहत हर तरह की रक्षा खरीद के लिए तय किया गया कि इंटेग्रिटी क्लॉज़ होगा. यानी अगर डील में शामिल कंपनी बाहर से दबाव डलवाएगी, एजेंट या एजेंसी को या उसके ज़रिए रिश्वत देगी तो उसे दंड दिया जाएगा.

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