सीवर भी देश के भीतर की वो सीमा है जहां हमारी सफाई के लिए लड़ता हुआ भारत माता का सपूत मारा जाता है. उसे न तो शहीद का दर्जा मिलता है न ही मुआवज़ा. भारत माता का सपूत कह देने से सारी समस्या का हल नहीं हो जाता. सीवर में उतरने वाले जातिवाद का जो दंश झेलते हैं उस पर बात फिर कभी. कोई 20 फुट गहरे सीवर में उतरा हो, सांस लेने की साफ हवा तक न हो, पता भी न हो कि अंदर हाइड्रोजन सल्फाइड इंतज़ार कर रही है या मिथेन गैस. इनके पास कोई उपकरण नहीं होता जिससे पता कर सके कि सीवर में ज़हरीली गैस इंतज़ार कर रही है.