बांग्लादेशी का भूत इस तरह न सवार हो जाए कि ग़रीबों के घर बांग्लादेशियों के मकान नज़र आने लगे. बंगलुरु में यही हुआ. बेल्लन्दूर के करियम्मना अग्रहारा की बस्ती को यह कह कर उजाड़ दिया गया कि वहां बांग्लादेशी रहते हैं. बीजेपी के विधायक ने दो-दो बार ट्वीट किया था कि बेलंदर इलाके में बांग्लादेशी रहते हैं. जब नगर निगम के अधिकारी से लोग गिड़गिड़ाने लगे कि वे बांग्लादेशी नहीं हैं, कर्नाटक के हैं, मिज़ोरम के हैं, यूपी और बिहार के हैं. असम के एक व्यक्ति ने तो नेशनल रजिस्टर में अपना नाम भी दिखाया मगर किसी ने नहीं सुनी. अब उनके घर उजाड़ दिए गए. कल तक घर था, अब घर नहीं है. उनके पास सब था आधार कार्ड, वोटर आई कार्ड लेकिन इस भूत का इलाज नहीं था कि वे भारत के हैं, बांग्लादेशी नहीं हैं. महानगरों में बांग्लादेशी हटाओ का नारा कहीं ग़रीबों को ज़मीन से उजाड़ो योजना में न तब्दील हो जाए. इससे सतर्क रहना होगा.
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