यह जटिल मसला है मगर समझना आसान है. क्या होगा कि आप सहमति से अपनी जानकारी किसी एप को दे दें, और वह उसका इस्तमाल किसी और काम के लिए कर ले. जैसा कि क्रैंबिंज एनालिटिका के मामले में हुआ. लोगों ने खुद ही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चन कोगन को जानकारी दी. उसने ज़रूर कैंब्रिज एनालिटिका को बेच दिया. इतनी जल्दी से कांग्रेस बीजेपी के खेल में मत पड़िए. मेहनत से हासिल लोकतंत्र की चिन्ता कीजिए.