एक राजनीतिक जंग छिड़ी है कि वो ऐप जो राजनीतिक पार्टियां इस्तेमाल करती हैं, जो नागरिकों और नेताओं के बीच कॉन्टैक्ट का एक ज़रिया होता है, क्या वो पब्लिक डेटा जुटाने के लिए एक प्रॉक्सी की तरह इस्तेमाल हो रहा है. और ये ज्यादातर आपकी जानकारी के बगैर हो रहा है. ऐसा डेटा जो कैंब्रिज एनालिटिका की स्टाइल में वोटरों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. दोनों ही पार्टियां ,कांग्रेस और बीजेपी इस पर आमने सामने हैं.