सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ एक आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में शनिवार को जेल भेजे गए स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने अपने पति की गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी. योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया में आपत्तिजनक कमेंट्स के मामले में गोरखपुर में भी दो गिरफ्तारियां पहले ही हो चुकी हैं. वैसे उत्तर प्रदेश ही नहीं बेंगलुरू में भी दो लोगों को कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी और उनके परिवार के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर भद्दी भाषा इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है. इन तमाम गिरफ़्तारियों से ये सवाल उठ रहे हैं कि सोशल मीडिया हमें अपने विचारो को सार्वजनिक मंच पर रखने की आजादी देता है लेकिन क्या साथ में जिम्मेदारी भी बनती है? हमारे पास बोलने की आज़ादी कहां तक है और कहां वो किसी की मानहानि या नुकसान में बदल सकती है?