जब दो सेकुलर दल आपस में लड़ते हुए अपना मकसद सांप्रदायिकता से लड़ना बताएं तो समझिए कि चुनाव नजदीक आ गया है। लेकिन सेकुलरिज्म का चुनावी जीवन बीमा बांटने वाले दल सिर्फ मुस्लिम समाज के प्रतिनधियों से ही क्यों बात करते हैं? उन्हें ही क्यों आश्वासन देने जाते हैं? इस सवाल का जवाब ढ़ूढती एक चर्चा...