जो व्यक्ति दिन भर में 17 रुपये या 32 रुपये ही कमाता हो उसके बारे में मान कर चलना चाहिए कि उसमें पोषक तत्वों के साथ−साथ सूचना तत्वों की भी घोर कमी होगी। 17 रुपये में आप भर पेट खा नहीं सकेंगे तो अखबार खरीद कर कैसे पढ़ेंगे। मैं हैरानी व्यक्त करता हूं कि गरीबी रेखा बनाने वाले अर्थशास्त्रियों की जमात ने बिलो इनफॉरमेशन लाइन यानी सूचना रेखा से नीचे के बारे में क्यों नहीं सोचा?