यह विश्वास हमारी रीतियों में शामिल है कि प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य का काम है, जोकि दयालुता के किसी भी अन्य कार्य से बड़ा है. यह माना जाता है कि कभी भी किसी को प्यासा नहीं लौटाना चाहिए. किसी प्यासे को पानी नहीं पिलाना अक्षम्य माना जाता है. ऐसे में, जबलपुर के रहने वाले 68 साल के शंकरलाल सोनी, पिछले दो दशकों से जो काम कर रहे हैं वो पुण्य कमाने से कहीं बड़ा है. उन्हें 'जबलपुर के वॉटरमैन' के तौर पर जाना जाता है. वो शहर में अपनी साइकिल पर चलता-फिरता प्याऊ लेकर चलते हैं और प्यासों को पानी पिलाते हैं.