सुप्रीम कोर्ट ने रफाल मामले को फिर से खोल दिया है. ये बहुत बड़ी बात है. अदालतें अपने फ़ैसलों पर आसानी से पुनर्विचार नहीं करतीं. इस फ़ैसले का मतलब साफ है कि सुप्रीम कोर्ट को रफाल सौदे में कुछ ऐसा कुछ मिला है जो संदिग्ध है. यह संदिग्ध चीज़ क्या है? द हिंदू में छपे वो दस्तावेज- जो बताते हैं कि रफ़ाल सौदे में रक्षा मंत्रालय के अलावा पीएमओ के लोग भी बातचीत कर रहे थे और उनकी वजह से रफ़ाल की कंपनी दसॉ को बहुत सारी छूट मिली. यही नहीं, रक्षा मंत्रालय को पता ही नहीं था कि रफ़ाल सौदे में पीएमओ भी बातचीत कर रहा है. दिलचस्प ये है कि द हिंदू की इस रिपोर्ट का सरकार ने खंडन नहीं किया. वो बस ये चाहती थी कि अदालत इसे सबूत न माने.क्योंकि ये दस्तावेज़ क़ानूनी ढंग से हासिल नहीं किए गए हैं, चुराए गए हैं. लेकिन अदालत ने ये दलील खारिज कर दी. यही नहीं, उसने ये भी माना कि द हिंदू ने जो कुछ भी छापा है, वो अभिव्यक्ति की आज़ादी के अपने अधिकार के तहत छापा है.