मोबाइल कंपनियों को आधार नंबर दिया जा चुका है, बहुत सारे स्कूलों में बच्चों के साथ साथ मां-बाप के आधार नंबर पहुंच गए हैं. बैकों में पहुंच गए हैं और न जाने कितनी प्राइवेट कंपनियों ने आधार नंबर ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के अलावा जगह-जगह पहुंच चुके आधार नंबर की क्या स्थिति होगी, क्या नंबर वापस किए जाएंगे, नष्ट किए जाएंगे, ये सब आम सवाल लोगों की ज़ुबान पर हैं. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने जो फैसला दिया है उसमें जस्टिस डीवाई चंदचूड़ ने कड़ी असहमति ज़ाहिर की है. बाकी चार न्यायधीश सहमति के साथ रहे. जस्टिस एके सिकरी ने बहुमत की तरफ से फैसला पढ़ा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खान्विलकर ने जस्टिस सिकरी के फैसले से सहमति जताई है. 1400 से अधिक पेज का फैसला है. मैं दावा नहीं करना चाहता कि पढ़ कर आया हूं.