लोगों ने जब पूछना शुरू कर दिया कि रातों रात कैशलेस होने के लिए ग़रीब जनता पर इतना दबाव डाला जा रहा है तो राजनीतिक दल क्यों नहीं कैश लेस हो जाते हैं. क्यों नहीं कह देते हैं कि अब किसी से दस रुपया भी कैश नहीं लेंगे, सिर्फ पेटीएम, मोबी क्विक या एसबीआई बडी से चंदा लेंगे. क्या गली-गली घूम कर दुकानदारों को कैशलेस लेनदेन सिखाने की मीडियाई औपचारिकता वाले सांसद, मंत्री भी ऐलान कर सकते हैं कि वे अगले चुनाव में कैशलेस चुनाव लड़ेंगे. ई वॉलेट से ही चंदा लेंगे.