दिसंबर 2013 में लोकपाल कानून बन गया लेकिन 2017 आ गया, लोकपाल कौन है, इसका ज़िक्र न बैंकिंग सर्विस क्रोनिकल में मिलेगा न ही प्रतियोगिता दर्पण में क्योंकि लोकपाल बना ही नहीं है. आखिर जिस कानून को बनाने के लिए इतना घनघोर आंदोलन चला, उस कानून के बन जाने के बाद लोकपाल क्यों नहीं बना, लोकपाल का ढांचा क्यों नहीं बना. इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई है, फैसला सुरक्षित है. लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है और लोकपाल कानून के हिसाब से बगैर विपक्ष के नेता के लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती है. तो ज़ाहिर है इसे लेकर कानून में संशोधन करना होगा.