अगर सरकार चुनाव आयोग की बात मान लेती है तो जल्दी ही राजनीतिक दल एक बार में दो हजार रुपए से अधिक नकद चंदा नहीं ले सकेंगे. ये चुनावों को कालेधन से मुक्त करने की दिशा में बडा कदम साबित हो सकता है. हालांकि जानकार कहते हैं कि जब तक नकद चंदे पर पूरी तरह से रोक नहीं लगती तब तक पारदर्शिता लाना मुश्किल है.