राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी हाथरस नहीं जा सके. पहले उनके काफिले को रोका गया तो दोनों ने पैदल 168 किलोमीटर जाने का फैसला लिया. राहुल गांधी और प्रियंका पीड़ित परिवार से मिलना चाहते थे. जब कानून व्यवस्था पर नियंत्रण का इतना दावा हो तब भी ऐसे हालत क्यों हैं कि विपक्ष के नेता हाथरस नहीं जा सके. शुरू से ही लग रहा था कि 158 किलोमीटर का मार्च पूरा नहीं होगा. राहुल और प्रियंका के पैदल चलते ही विपक्ष कहा है? को नहीं दिखाने वाला मीडिया विपक्ष को दिखाने लगा. कुछ ही देर में पुलिस मार्च को रोकने लगी. मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण था. और ऐसा भी नहीं था कि पूरा उत्तर प्रदेश सड़कों पर आ गया हो. राहुल गांधी के साथ पुलिस की काफी बहस हुई. यहां जो भी हुआ वो शर्मनाक है. पुलिस ने धक्का दिया या राहुल ने सतुलन खो दिया कहना मुश्किल है. लेकिन विपक्ष के नेता को जमीन पर गिरते देखना असहज करता है. वैसे भी विपक्ष अकेला होता है इसलिए जमीन पर गिरा दिया जाता है या गिर जाता है.