राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलने के बाद प्रधानमंत्री ने लोकसभा में भाषण दिया. किसानों के साथ सरकार की 10-10 दौर की बातचीत हो चुकी है. क्या उस बातचीत में किसानों ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा होगा, जिसका जवाब प्रधानमंत्री सदन में बिंदुवार और क्रमवार दे सकते थे. लोकसभा में प्रधानमंत्री जब बातचीत को लेकर बोल रहे थे तब विपक्ष की तरफ से विरोध हुआ और ‘काले कानून को वापिस लो’ के नारे लगाए गए. प्रधानमंत्री ने विपक्ष के बारे में भी कहा कि उनकी तरफ से आशंकाएं नहीं बताई गई. केवल धारणाएं पेश की गई. क्या वाकई में विपक्ष ने अपने इतने लंबे भाषणों में कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग या फिर एसडीएम के रोल के बारे में कुछ भी नहीं कहा होगा.