फरवरी में जब मोदी सरकार ने अपना बजट पेश किया, तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड के टीके के लिए इस साल 35,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है और इसके अलावा भी पैसा दिया जाएगा. तो इस बजट के रहते राज्यों से क्यों कहा जा रहा है कि वे अपने बजट से टीका खरीदें. क्या राज्यों को टीका खरीदने के लिए कोई पैसा दिया गया. 'इंडिया स्पेंड' की श्रेया रमण और श्रीहरि पलियथ की रिपोर्ट में बताया गया है कि 8 गरीब राज्यों को अपने स्वास्थ्य बजट का तीस प्रतिशत टीका खरीदने पर खर्च करना पड़ेगा. बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड शामिल हैं. जब दुनिया के बड़े देश टीके के रिसर्च और विकास में पैसा लगा रहे थे, कंपनियों से खरीद रहे थे और मुफ्त बांटने की रणनीति बना रहे थे, तब सोचिए मोदी सरकार ने भारत की ही दो कंपनियों में एक नया पैसा नहीं लगाया लेकिन टीके के वितरण से लेकर हर चीज़ पर ऐसे नियंत्रण रखा, जैसे सब कुछ मोदी सरकार कर रही है. न तो रिसर्च में पैसा लगाया और न खरीदने में.