हाउडी मोदी कार्यक्रम में ट्रंप और मोदी की दोस्ती देखते बन रही थी. ऐसा माना जाने लगा कि भारत ने अपनी कई नीतियों पर अमेरिकी मत अपनी ओर झुकाने में एक सजग प्रयास कर लिया है, ख़ासतौर से पाकिस्तान. लेकिन ट्रंप जब इमरान ख़ान से मिले तो उन्होंने दोबारा मध्यस्थता की बात कर दी. कहा कि पाकिस्तान को सही इज़्ज़त नहीं मिली है. अपने इस्लामिक आतंकवाद वाले बयान पर उन्होंने कहा कि वो ये बात ईरान के लिए कह रहे थे. आज एक बार फिर ट्रम्प और मोदी की औपचारिक मुलाकात होने वाली है जिसमें बिज़नेस की बात होगी, ट्रेड एग्रीमेंट पर बात होगी. ट्रम्प के उलट-पुलट बयानों पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि इंतज़ार कीजिए. तो क्या उम्मीद की जा सकती है आज की इस बैठक से? क्या हमने ट्रम्प से कुछ ज़्यादा ही उम्मीदें बांध ली हैं या हमको भारत-यूएस के रिश्ते को पाकिस्तान के सूक्ष्म नज़रिये से देखना बंद करना होगा. और भारत-पाकिस्तान मामलों को बिल्कुल उसी तरीके से निपटना होगा जो भारत की विदेश नीति रही है- द्विपक्षीय.. जिसमें यूएस या कोई भी और मुल्क क्या बोलता है या समर्थन करता है या नहीं, उसके कोई मायने नहीं रह जाते.