एशिया के उज्ज्वल भविष्य के सामने चुनौती वाले प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की शताब्दी है. सबसे बड़ा सवाल है कि हम एशिया के लोग इसे फील करते हैं या नहीं. 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाकर रहना है, यह हमारे लिए चुनौती है. यह अपने आप में विश्वास करना और यह जानना आवश्यक है कि अब हमारी बारी है. हमें इस अवसर का फायदा उठाना होगा और उसका नेतृत्व करना होगा.