भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में जो बात कही, वह बात उतनी बुरी नहीं है जितनी 2019 में भारत के अटॉर्नी जनरल रहते हुए मुकुल रोहतगी ने कही थी कि नागरिक का उसके शरीर पर संपूर्ण अधिकार नहीं है. गनीमत है और यह मेहरबानी है उनकी कि उन्होंने यह नहीं कहा कि नागरिक का उसके नाक, कान, मुंह, होठ, बाल, दांत, हाथ, पैर, टांग पर अधिकार नहीं है. राज्य का अधिकार है. कहीं ऐसा न हो कि कोई एक दिन अदालत के सामने खड़ा होकर यह न कह दे कि नागरिकों का मीडिया के सामने अपनी तकलीफों का प्रदर्शन करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.