एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने इस तथ्य के आधार पर कि कोविड की पिछली लहरों से बच्चों पर अधिक गंभीर असर नहीं पड़ा, कहा कि तीसरी लहर बहुत सारे बच्चों को प्रभावित नहीं कर सकती है. साथ ही डॉ गुलेरिया ने कहा कि एक SERO सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, जिन 50 प्रतिशत बच्चों का हमने सर्वेक्षण किया, उनमें से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बच्चों में पहले से ही हल्के संक्रमण के कारण एंटीबॉडी थे, और इसलिए वे पहले से ही सुरक्षित हैं. स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए भौतिक रूप से मौजूदगी के साथ कक्षाएं फिर से शुरू करने के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा कि इसे इस तरह से किए जाने की जरूरत है जिससे बीमारी का प्रसार रुका रहे. टीकाकरण और अन्य उपायों के माध्यम से बच्चों को सुरक्षा दी जा सकती है. डॉ गुलेरिया ने 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए COVID-19 वैक्सीन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि फाइजर की वैक्सीन पहले से ही बच्चों के टीके के लिए स्वीकृत की जा चुकी है. भारत में बनी Zydus Cadilla डीएनए वैक्सीन को भी बच्चों पर आजमाया गया है और इसे सुरक्षित पाया गया है. भारत बायोटेक वैक्सीन का बच्चों पर परीक्षण चल रहा है. सितंबर तक इसके नतीजे सामने आ जाएंगे.