6 दिसंबर, 25 साल पहले, इसी दिन अयोध्या में हज़ारों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. इस उन्माद के पीछे ये मान्यता काम कर रही थी कि बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने 16वीं सदी में ये मस्जिद बनाई थी और इसके लिए उस मंदिर को गिराया था जहां राम का जन्म हुआ था. देश के छोटे-बड़े शहरों और गांवों से हिंदुत्ववादी पार्टियों और संगठनों ने बिल्कुल नए-नए तैयार रामभक्त जुटाए. इन संगठनों में आरएसएस, बीजेपी, शिवसेना, वीएचपी, और बजरंग दल थे. बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद केंद्र ने मस्जिद के चारों ओर की 67 एकड़ ज़मीन अपने कब्ज़े में ले ली- और अयोध्या- जिसका मतलब होता है ऐसी जगह जहां युद्ध न हो- एक क़िले में तब्दील हो गई. तब से अब तक लोग उत्तर प्रदेश में 11 सरकारें देख चुके हैं- एक खाता-पीता मध्यवर्ग उदारीकरण के फायदे उठा रहा है और भारत दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार अर्थव्यवस्थाओं में एक है. देश में बदलाव की लहर है. लेकिन अयोध्या जैसे वक़्त में ठहरी हुई है- मंदिर-मस्जिद विवाद में क़ैद.