हम अक्सर कहते हैं कि नए लोगों को राजनीति में जाना चाहिए मगर दिक्कत यह है कि ऊपर से तो नए लोग भेजे जाते हैं मगर नीचे जो पुराने होते हैं वो चुनाव को उस तरह से नहीं देखते हैं जिस तरह से हम और आप देखते हैं. यूपी की जनता ही ईमानदारी से बता सकती है कि नोटबंदी के इस दौर में शराब बंटी या नहीं. नोट बंटे या नहीं. वैसे चुनाव आयोग ने चुनावी राज्यों में 112 करोड़ कैश पकड़े हैं. बहरहाल सुधीर पंवार के लेख को पढ़ते हुए हमें आइडिया आया कि क्यों न कुछ उम्मीदवारों से पूछा जाए कि वो कौन सी बात है जो चुनाव लड़ते समय उन्हें दुखी कर रही थी.