प्राइम टाइम : नेता से सुनिए चुनाव प्रचार के कटु अनुभव...

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  • प्रकाशित: मार्च 10, 2017
हम अक्सर कहते हैं कि नए लोगों को राजनीति में जाना चाहिए मगर दिक्कत यह है कि ऊपर से तो नए लोग भेजे जाते हैं मगर नीचे जो पुराने होते हैं वो चुनाव को उस तरह से नहीं देखते हैं जिस तरह से हम और आप देखते हैं. यूपी की जनता ही ईमानदारी से बता सकती है कि नोटबंदी के इस दौर में शराब बंटी या नहीं. नोट बंटे या नहीं. वैसे चुनाव आयोग ने चुनावी राज्यों में 112 करोड़ कैश पकड़े हैं. बहरहाल सुधीर पंवार के लेख को पढ़ते हुए हमें आइडिया आया कि क्यों न कुछ उम्मीदवारों से पूछा जाए कि वो कौन सी बात है जो चुनाव लड़ते समय उन्हें दुखी कर रही थी.

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