बात दिसंबर 2014 की है. माले के वाटर और सिवरेज कंपनी में भयंकर आग लग गई. इससे यहां के वाटर डिस्टिलेशन प्लांट में गड़बड़ी पैदा हो गई. पीने के साफ़ पानी की आपूर्ति रूक गई. चारों तरफ़ समुद्र से घिरे मालदीव के पास पीने के पानी का कोई प्राकृतिक ज़रिया नहीं है. वह पूरी तरह से डिस्टिलेशन प्लांट से मिलने वाले पानी पर निर्भर है. जैसे ही प्लांट बंद हुआ, मालदीव में पीने के पानी के लिए हाहाकार मच गया. मालदीव की सरकार ने 4 दिसंबर 2014 को भारत सरकार से अनुरोध किया. तब भारत ने ऑपरेशन नीर शुरू किया...