प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही मनरेगा को गड्ढे भरने की योजना मानें लेकिन ये सच है कि इससे पलायन काफ़ी हद तक रुका था, लेकिन अब सरकार इस योजना के प्रति लापरवाह नज़र आने लगी है. शायद यही वजह है कि मध्यप्रदेश सरकार के लिए लाखों मज़दूरों को उनकी मज़दूरी देना मुश्किल हो रहा है. कई ज़िलों में तीन महीने से ज़्यादा की मज़दूरी अटकी पड़ी है.एक और मामला मनरेगा में भ्रष्टाचार का है जिसे दूर करने के लिए राज्य सरकार अब बड़े अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करने का मन बना रही है.