शुक्रवार को जो तूफ़ान आया, उसका नाम बांग्लादेश ने दिया है- फोनी. फोनी- यानी बांग्ला में नाग का फण. इसे 64 नामों की सूची में से चुना गया था. 2004 में आई सुनामी को छोड़ दें तो दशकों से ओडिशा ने ऐसा समुद्री तूफ़ान नहीं देखा था. 200 किलोमीटर की रफ़्तार से आ रहा विराट चक्रवात जब सुबह 8 बजे के आसपास पुरी के तट से टकराया तो कुछ देर के लिए हर तरफ़ बरबादी का मंज़र दिखा. पेड़ उखड़ गए, इमारतों की छतें उड़ गईं, पानी की टंकियां गिर गईं, इमारतों के टावर गिरे. बिजली के पोल धराशायी हो गए. गनीमत बस इतनी थी कि ये अचानक आया तूफ़ान नहीं था. हमें 4 दिन पहले से मालूम था कि ऐसे भयावह तूफ़ान का हम सामना करने जा रहे हैं. मछुआरों को कह दिया गया था वो समंदर से दूर रहें. 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया. ये मत समझिए कि तूफ़ान टल गया है.