2014 के बाद शायद यह पहला बड़ा मौक़ा है जब उद्योगपतियों की सुगबुगाहट, खुली नाराज़गी और अर्थव्यवस्था के संकट के दबाव में वित्त मंत्री निमर्ला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेस में कई बड़े ऐलान किए. ये वो ऐलान थे जिनके बारे में सरकार के पीछे हटने की उम्मीद कम नजर आ रही थी.23 अगस्त की शाम निर्मला सीतारमण उन एलानों के शब्दों और वाक्यों पर ख़ास तरह से ज़ोर देती रहीं, कुछ शब्दों को दोहराती रहीं ताकि यह रजिस्टर हो जाए कि सरकार उद्योगपतियों की सुन रही है. आज की प्रेस कांफ्रेंस को देखकर भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियण झेंप गए होंगे जिनका एक दिन पहले बयान छपा था कि उद्योगपतियों को 'पापा बचाओ' की मानसिकता से बचना होगा. निर्मला सीतारमण के बयान और ऐलान से पहले कृष्णमूर्ति सुब्रमणियण के बयान को जानना चाहिए तभी वित्त मंत्री के एलानों का सही संदर्भ पता चलेगा.