एक ऐसे दौर में जब हमारी निजता, हमारे निजी आंकड़ों की प्राइवेसी को लेकर ख़तरा बढ़ रहा है एक नया विवाद खड़ा हो गया है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने डीलरों से कहा है कि वे अपना यहां काम करने वाले करीब दस लाख कर्मचारियों का डेटा दें. कुल 24 प्रकार की जानकारी मांगी गई है. इसमें जाति पूछी गई है. धर्म और चुनाव क्षेत्र की भी जानकारी मांगी गई है. जाति और धर्म और चुनाव क्षेत्र की जानकारी हासिल करने का क्या मकसद हो सकता है, क्या ऐसी जानकारी सिर्फ पेट्रोल पंप के डीलर्स से मांगी गई है. सरकार का दावा है कि वो ये आंकड़े अपनी डेवलपमेंट स्कीम यानी कौशल विकास योजना के लिए मांग रही है. लेकिन पेट्रोलियम डीलर्स ने इस मांग पर कोर्ट जाने की धमकी दी है. उनका कहना है कि ये उनके निजी आंकड़े हैं और इन्हें मांगा जाना ग़लत है. पेट्रोलियम डीलरों का कहना है कि इस विरोध पर तेल कंपनियां उन्हें धमका रही हैं.