आप खुलेआम साथ रह रहे हैं, फिर लिव-इन की प्राइवेसी कैसे खत्म हो गई? UCC पर उत्तराखंड हाई कोर्ट

UCC: लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा कि आप दोनों साथ रह रहे हैं, ये बात आपके पड़ोसी, समाज और दुनिया जानती है. फिर आप कौन से सीक्रेट की बात कर रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
UCC: लिव इन रिलेशनशिप से जुड़ी याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट
नैनीताल:

उत्तराखंड में 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई. उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य है. लेकिन इसके कई प्रावधानों पर बड़ी बहस छिड़ गई है. कई ऐसे लोग हैं, जो लिव-इन रिलेशनशिप के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन को सही नहीं मानते. उनका कहना है कि ये निजता का उल्लंघन है. UCC के विशिष्ट प्रावधानों, खासकर लिव-इन रिलेशनशिप के जरूरी रजिस्ट्रेशन को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. 23 साल के एक शख्स की तरफ से दायर एक अन्य रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य  लिव-इन रिलेशनशिप पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा, बल्कि सिर्फ उसके रजिस्ट्रेशन का प्रावधान कर रहा है.

उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी. नरेन्द्र ने कहा कि राज्य ने ये नहीं कहा कि आप साथ नहीं रह सकते. जब बिना शादी के आप खुलेआम साथ रह रहे हैं, तो इसमें क्या गलत है. रजिस्ट्रेशन कराने से आपकी कौन सी निजता का हनन हो रहा है?. 

"गोसिप को मिलेगा बढ़ावा"

जस्टिस आलोक माहरा की बेंच के सामने याचिकाकर्ता (जय त्रिपाठी) के वकील अभिजय नेगी ने तर्क दिया कि यूसीसी के तहत ऐसे रिश्तों के रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी प्रावधान करके राज्य गोसिप को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के साल 2017 के फैसले का हवाला देते हुए निजता के अधिकार पर जोर देते हुए तर्क दिया कि उनके क्लाइंट की निजता का हनन किया जा रहा है, क्योंकि वह अपने साथी के साथ अपने लिव-इन रिश्ते का ऐलान या फिर रजिस्ट्रेशन नहीं करना चाहते. 

हालांकि बेंच ने उनके इस तर्क का खंडन करते हुए कहा कि यूसीसी में इस तरह के किसी भी ऐलान का प्रावधान नहीं है. इसमें सिर्फ लिव-इन रिलेशनशिप जैसे रिश्तों के लिए रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है. 

Advertisement

"आप साथ रहते हैं, ये तो सब जानते हैं, फिर कैसा सीक्रेट"

उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि आप दोनों साथ रह रहे हैं, ये बात आपके पड़ोसी, समाज और दुनिया जानती है. फिर आप कौन से सीक्रेट की बात कर रहे हैं. उन्होंने पूछा कि क्या आप सीक्रेट तरीके से किसी एंकांत गुफा में रह रहे हैं. आप एक सभ्य समाज के बीच रह रहे हैं, बिना शादी के आप एक साथ रह रहे हैं.  ऐसी कौन सी ऐसी निजता है, जिसका उल्लंघन किया जा रहा है.

Advertisement

इस मामले पर बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अल्मोड़ा जिले की उस घटना का जिक्र किया, जिसमें एक यंग लड़के को इस लिए मार दिया गया था क्यों कि वह अंतरधार्मिक लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा था. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ काम करें. उन्होंने कहा कि अगर इस मामले को UCC को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा जाता है और अगर किसी के खिलाफ जबरन कार्रवाई की जाती है तो वह शख्स कोर्ट आ सकता है.  

Advertisement

लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधान को चुनौती

बता दें कि यूसीसी को चुनौती देने वाली दो अन्य याचिकाएं उत्तराखंड हाई कोर्ट में लंबित हैं. जनहित याचिका में समान नागरिक संहिता (UCC) के कई प्रावधानों को चुनौती दी गई है. इसमें खास तौर पर लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधान शामिल हैं. जबकि आरुषि गुप्ता की एक अन्य जनहित याचिका में शादी, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इनसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. 
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Child Marriage Free India: प्रेरणादायी जिंदगियां, बाल विवाह मुक्त भारत के लिए संघर्ष | NDTV India