- उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदा नगर ब्लॉक में 17 सितंबर की रात बादल फटने से मलबे में दस लोग दब गए थे.
- राहत कार्य में एक व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि सात शव बरामद हो चुके हैं.
- मोक्ष क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक आवासीय भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं और धुरमा गांव में दो लोग लापता हैं.
उत्तराखंड एक बार फिर आपदा की मार झेल रहा है. 17 सितंबर की रात चमोली जनपद के नंदा नगर ब्लॉक में बादल फटने की कई घटनाएं हुईं. इस आपदा में 10 लोग मलबे में दब गए थे. राहत की बात यह रही कि एक व्यक्ति को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन अब तक सात शव बरामद हो चुके हैं. मोक्ष क्षेत्र में तबाही इतनी भयावह रही कि दो दर्जन से अधिक आवासीय भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए. वहीं धुरमा गांव में अब भी दो लोग लापता हैं, जिनकी तलाश लगातार जारी है. इस पूरे क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है, जिससे आवाजाही और राहत कार्यों में भारी दिक्कतें आ रही है.
आपदा से पीड़ित भरत सिंह ने बताया, “इस आपदा ने हमें बेघर कर दिया है. प्रशासन से मांग है कि जल्द से जल्द विस्थापन किया जाए, ताकि सुरक्षित जगह पर रह सकें.”
आपदा के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन लगातार राहत व बचाव कार्य में जुटे हैं. जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि धुरमा गांव में लापता लोगों की खोज में टीमें लगातार लगी हुईं हैं. प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों के लिए भोजन और जरूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत युद्ध स्तर पर की जा रही है.
नंदा नगर की यह त्रासदी दिखाती है कि पहाड़ की जिंदगियां किस कदर आपदा के साये में जी रही हैं. फिलहाल राहत-बचाव कार्य जारी है और लापता लोगों की तलाश अभी भी की जा रही है. लोगों का जीवन किसी तरह गुजारे के लिए परेशान है. कुछ समय पहले तक अच्छे से रहने वाले लोग भी अब दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं. प्रशासन की तरफ से भोजन और जरूरी सामान पर गुजारा कर रहे हैं.
बादल क्यों फटते हैं
बादल फटने की घटना तब होती है, जब बादलों में अत्यधिक जलवाष्प जमा हो जाता है और यह जलवाष्प अचानक से भारी बारिश के रूप में गिरने लगता है. इस प्रक्रिया में, बादलों में उपस्थित जलवाष्प और वायुमंडलीय दबाव के कारण बादल फटने की घटना होती है.
बादल फटने के कारण
- वायुमंडलीय अस्थिरता: जब वायुमंडल में अस्थिरता होती है, तो गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा नीचे आती है. इससे बादलों में जलवाष्प जमा होता है और बादल फटने की संभावना बढ़ जाती है.
- जलवाष्प का जमाव: जब बादलों में जलवाष्प जमा होता है, तो यह जलवाष्प बादलों को भारी बना देता है. जब बादल अधिक भारी हो जाते हैं, तो वे फट जाते हैं और भारी बारिश होती है.
- पर्वतीय क्षेत्रों में प्रभाव: पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं अधिक आम होती हैं क्योंकि पहाड़ों की ढलानों पर हवा ऊपर उठती है और ठंडी होती है, जिससे जलवाष्प जमा होता है.
बादल फटने के प्रभाव
भारी बारिश: बादल फटने से भारी बारिश होती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं.
जान-माल की हानि: बादल फटने से होने वाली भारी बारिश और बाढ़ से जान-माल की हानि हो सकती है.
पर्यावरण पर प्रभाव: बादल फटने से पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि नदियों का जल स्तर बढ़ना और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचना.
क्या पहले से पता चल सकता है
वैज्ञानिक बादलों की गतिविधियों को ट्रैक करके और वायुमंडलीय परिस्थितियों का विश्लेषण करके बादल फटने की भविष्यवाणी करने की कोशिश करते हैं. इससे लोगों को समय रहते सचेत किया जा सकता है और जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है.