केंद्र ने केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के पास खनन परियोजना को किया खारिज

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अगर राज्य सरकार किसी सेंचुरी या रिजर्व फॉरेस्ट के आसपास क्षेत्र तय नहीं करती है, तो राष्ट्रीय उद्यान के पास लगभग 10 किलोमीटर तक डिफॉल्ट क्षेत्र इको-सेंसेटिव जोन माना जाता है. 

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चमोली:

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के वन्यजीव बोर्ड ने उत्तराखंड के चमोली जिले में केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बेहद करीब सोप स्टोन खनन शुरू करने के उत्तराखंड खनन विभाग के प्रस्ताव को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है. केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी के बेहद नजदीक सोप स्टोन खनन के लिए भारत सरकार को लगभग एक साल पहले प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर लगातार कई बार बैठकें हुईं.

प्रस्ताव में सेंचुरी से 2.1 किलोमीटर दूर नॉन-फॉरेस्ट लैंड पर खनन करने की योजना थी. उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी के आसपास इको-सेंसेटिव जोन तय नहीं किया है, लेकिन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अगर राज्य सरकार किसी सेंचुरी या रिजर्व फॉरेस्ट के आसपास क्षेत्र तय नहीं करती है, तो राष्ट्रीय उद्यान के पास लगभग 10 किलोमीटर तक डिफॉल्ट क्षेत्र इको-सेंसेटिव जोन माना जाता है. 

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सोप स्टोन (खड़िया) खनन बड़े पैमाने पर होता आया है, लेकिन हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने खड़िया खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इसकी वजह खड़िया खनन से होने वाले नुकसान और क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीणों को होने वाले नुकसान को बताया गया है. कोर्ट ने बागेश्वर के तहसील में अवैध रूप से हो रहे खनन पर अपना फैसला सुनाया था. इसके अलावा, वहां के लोग लगातार इस बात को उठा रहे थे कि अवैध रूप से खड़िया खनन किया जा रहा है, जिससे उनके घरों, खेतों और आसपास के पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने खनन पर रोक लगाई और निर्देश जारी किए हैं कि खड़िया खनन से हुए नुकसान की एक रिपोर्ट बनाई जाए. इसके साथ ही, अवैध खनन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

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एक तरफ जहां कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन से होने वाले नुकसान के कारण रोक लगाई है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड खनन विभाग केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य, जो कि एक अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है, में सोप स्टोन खनन करने का प्रस्ताव तैयार कर के भेज रहा है. जबकि 2013 की केदारनाथ आपदा, भूकंप के दृष्टिकोण से संवेदनशीलता, वन्यजीवों के लिए प्रोटेक्टेड एरिया जैसी कई घटनाएं यह दर्शाती हैं कि यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है.

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