- उत्तराखंड के चमोली में बद्रीनाथ धाम के कपाट आज दोपहर लगभग तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए बंद किए जाएंगे
- कपाट बंद होने के साथ ही छह महीने का शीतकाल शुरू हो जाएगा और मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है
- मंदिर में पंच पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान करने का परंपरागत अनुष्ठान संपन्न हुआ है
उत्तराखंड के चमोली में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद आज बंद होने जा रहे हैं. दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर बद्रीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम का छह महीने का शीतकाल आरंभ हो जाएगा. इस अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है. चारों ओर रंग-बिरंगी लाइटों की जगमगाहट और ताजे फूलों की महक से पूरा धाम एक दिव्य लोक जैसा नजर आ रहा है.
कपाट बंद होने के अनुष्ठान शुरू
मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सोमवार को पंच पूजा के चौथे दिन मां लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई और परंपरा के अनुसार कढ़ाई प्रसाद अर्पित किया गया था. इसके बाद माता लक्ष्मी को बद्रीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण दिया गया. फिर बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी अमरनाथ नंबूदरी माता लक्ष्मी के मंदिर पहुंचे और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्हें गर्भगृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया.
बद्रीनाथ धाम में पंच पूजाएं
21 नवंबर से बद्रीनाथ धाम में पंच पूजाएं शुरू हुई थीं. इसके तहत गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट भी विधि-विधान से बंद किए गए. जैसे-जैसे कपाट बंद होने का समय नजदीक आता गया, वैसे-वैसे मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन भी पूरा कर दिया गया. सोमवार को माता लक्ष्मी के मंदिर में विशेष पूजा की गई. रावल यानी मुख्य पुजारी ने परंपरा के अनुसार, माता लक्ष्मी को मुख्य गर्भगृह में आने का औपचारिक निमंत्रण दिया.
सर्दियों में क्यों बंद हो जाते हैं मंदिर के कपाट
गर्मियों के छह महीनों में माता लक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थित अपने स्थल पर विराजमान रहती हैं, लेकिन सर्दियों के दौरान मां मुख्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होती हैं. कपाट बंद होने के मौके पर इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. अंदाजा है कि मंगलवार को पांच हजार से ज्यादा लोग बद्रीनाथ धाम में मौजूद रहेंगे. सभी लोग कपाट बंद होने की इस ऐतिहासिक और भावुक करने वाली प्रक्रिया के साक्षी बनना चाहते हैं.
हिंदू मान्यताओं और पुराणों में कहा गया है कि 6 महीने मानव, 6 महीने नारद जी और देवताओं द्वारा भगवान की पूजा अर्चना की जाती है. शीतकाल के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं, तब मंदिर पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. शीतकाल में वहां इंसानों का रहना मुश्किल होता है उस दौरान नारद और देवता भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. भगवान शीतकाल के दौरान धाम में ही विराजमान रहते हैं. लेकिन उनके प्रतीक स्वरूप प्रतिनिधि के रूप में उद्धव जी की डोली पांडुकेश्वर में शीतकाल के दौरान प्रवास करती है. जहां पर श्रद्धालु उनके दर्शन करते हैं. इसके साथ ही ज्योर्तिमठ यानी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में शीतकाल में गद्दी स्थल रहता है.
चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड दर्शन
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ चारधाम यात्रा छह माह के लिए स्थगित हो जाएगी. इस बार यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड बनाया है. चारधामों में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 51 लाख के करीब पहुंच गया है. इस बार केदारनाथ में 17,68,795 ,बदरीनाथ में 16,52,971,गंगोत्री में 7,58,249,यमुनोत्री में 6,44,637,हेमकुंड साहिब में 2,74,441 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.














