प्रतीकात्मक फोटो.
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- बिल्डरों की जवाबदेही तय करने के लिए लाया गया रेरा बिल
- बुधवार को यूपी में रियल स्टेट बिल की वेबसाइट शुरू की गई
- केंद्र सरकार के रेरा कानून से बहुत अलग है यूपी का कानून
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नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में बुधवार को 'रेरा' यानि 'रियल स्टेट रेग्यूलेटरी अथारिटी बिल' लागू होते ही 24 घंटों के अंदर 20 हजार से भी ज्यादा फ्लैट खरीदारों ने रेरा पोर्टल में अपने बिल्डरों के खिलाफ शिकायत दर्ज की लेकिन पहले से ही परेशान फ्लैट खरीददारों को एक शिकायत करने के लिए रेरा को 1000 रुपये की फीस देनी पड़ रही है. रेरा बिल बिल्डरों की जवाबदेही तय करने के लिए लाया गया है.
बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रियल स्टेट बिल की वेबसाइट शुरू की थी. वेबसाइट खुलते ही बिल्डरों के खिलाफ ऑनलाइन शिकायतों का अंबार लग गया. अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ही तीन लाख से भी ज्यादा निवेशक बिल्डरों के चक्कर में फंसे हुए हैं. लेकिन पहले से ही दुखी फ्लैट खरीदारों को हर शिकायत पर एक हजार रुपये की फीस चुकानी पड़ रही है.
नोएडा बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि "अभी तो एक दिन हुआ है, हफ्ते में शिकायतें एक लाख से ज्यादा होंगी क्योंकि आम्रपाली और सुपरटेक तो रजिस्टर नहीं हुए. पर ये हमसे एक हजार रुपये वसूला जाना गलत है. हम पहले ही सन 2010 से परेशान हैं."
नोएडा में बिल्डरों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. यूपी में लागू किया गया रेरा कानून अखिलेश सरकार ने बनाया था जो एक मई को नोटिफाइड हुआ. यह केंद्र सरकार के रेरा कानून से बहुत अलग है. इसमें ऐसी कई तरह की छूटें हैं जिससे बिल्डरों के ऊपर शिकंजा कसने का मकसद पूरा नहीं होगा. जैसे इसमें छूट का पैमाना कम्पलीशन सर्टिफिकेट को बनाया गया है. मसलन, सुपरटेक, आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट निर्माण के अलग-अलग चरणों में हैं और इन्हें ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट या तो मिल गया है या इनके लिए आवेदन किया जा चुका है. इनमें कई फ्लैटों को ऑक्युपेंसी पेपर के साथ-साथ पार्ट-कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी मिल चुके हैं. ये लोग नए कानून के अंदर नहीं आएंगे.
यूपी सरकार के मंत्री सतीश महाना का कहना है कि "अभी बस पोर्टल लांच हुआ है. इस पोर्टल के माध्यम से हम बिल्डरों को यह मौका देंगे कि वे अपना रजिस्ट्रेशन कराएं और बॉयर्स के हित में सारी जानकारी पोर्टल पर डालें. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, एनसीआर में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें बिल्डरों द्वारा ठगा गया है. हम बिल्डरों पर शिकंजा कसेंगे. उन्हें बॉयर्स को मकान देना पड़ेगा. उनकी जवाबदेही तय की जाएगी."
VIDEO : क्या सरकार करेगी कार्रवाई
योगी सरकार फ्लैट खरीदारों की समस्या को लेकर गंभीर तो दिखती है लेकिन रेरा कानून लागू होने के बावजूद अब तक न तो रेरा के चेयरमैन नियुक्त हुए हैं और न ही रेरा का अब तक कोई दफ्तर ही बना है.
बुधवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रियल स्टेट बिल की वेबसाइट शुरू की थी. वेबसाइट खुलते ही बिल्डरों के खिलाफ ऑनलाइन शिकायतों का अंबार लग गया. अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ही तीन लाख से भी ज्यादा निवेशक बिल्डरों के चक्कर में फंसे हुए हैं. लेकिन पहले से ही दुखी फ्लैट खरीदारों को हर शिकायत पर एक हजार रुपये की फीस चुकानी पड़ रही है.
नोएडा बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का कहना है कि "अभी तो एक दिन हुआ है, हफ्ते में शिकायतें एक लाख से ज्यादा होंगी क्योंकि आम्रपाली और सुपरटेक तो रजिस्टर नहीं हुए. पर ये हमसे एक हजार रुपये वसूला जाना गलत है. हम पहले ही सन 2010 से परेशान हैं."
नोएडा में बिल्डरों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. यूपी में लागू किया गया रेरा कानून अखिलेश सरकार ने बनाया था जो एक मई को नोटिफाइड हुआ. यह केंद्र सरकार के रेरा कानून से बहुत अलग है. इसमें ऐसी कई तरह की छूटें हैं जिससे बिल्डरों के ऊपर शिकंजा कसने का मकसद पूरा नहीं होगा. जैसे इसमें छूट का पैमाना कम्पलीशन सर्टिफिकेट को बनाया गया है. मसलन, सुपरटेक, आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट निर्माण के अलग-अलग चरणों में हैं और इन्हें ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट या तो मिल गया है या इनके लिए आवेदन किया जा चुका है. इनमें कई फ्लैटों को ऑक्युपेंसी पेपर के साथ-साथ पार्ट-कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी मिल चुके हैं. ये लोग नए कानून के अंदर नहीं आएंगे.
यूपी सरकार के मंत्री सतीश महाना का कहना है कि "अभी बस पोर्टल लांच हुआ है. इस पोर्टल के माध्यम से हम बिल्डरों को यह मौका देंगे कि वे अपना रजिस्ट्रेशन कराएं और बॉयर्स के हित में सारी जानकारी पोर्टल पर डालें. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, एनसीआर में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें बिल्डरों द्वारा ठगा गया है. हम बिल्डरों पर शिकंजा कसेंगे. उन्हें बॉयर्स को मकान देना पड़ेगा. उनकी जवाबदेही तय की जाएगी."
VIDEO : क्या सरकार करेगी कार्रवाई
योगी सरकार फ्लैट खरीदारों की समस्या को लेकर गंभीर तो दिखती है लेकिन रेरा कानून लागू होने के बावजूद अब तक न तो रेरा के चेयरमैन नियुक्त हुए हैं और न ही रेरा का अब तक कोई दफ्तर ही बना है.
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