महाकुंभ में साध्वी बनी थी 13 साल की लड़की, अचानक अपने मां-बाप के पास क्यों लौट आई?

13 वर्षीय बेटी महाकुंभ में स्नान करने गई थी. महाकुंभ के आध्यात्मिक और साधु-संतों के जीवन से वह इतनी प्रभावित हुई कि उसने सांसारिक जीवन छोड़कर साध्वी बनने का फैसला कर लिया.

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  • आगरा के एक परिवार की 13 वर्षीय बेटी महाकुंभ में साध्वी बन गई थी, जिससे परिवार तनाव में था
  • किशोरी ने महाकुंभ के साधु-संतों से प्रभावित होकर जूना अखाड़े में संन्यास ले लिया था
  • परिवार की मांग पर पुलिस ने किशोरी को हरियाणा के आश्रम से बरामद कर लिया था
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आगरा के एक परिवार के लिए पिछले दस महीने तनाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव भरे रहे, जब उनकी 13 वर्षीय बेटी महाकुंभ में जाकर साध्वी बन गई थी. लंबी जद्दोजहद और पुलिस की काउंसलिंग के बाद, अब उनकी बेटी वापस अपने परिवार को सौंप दी गई है और उसने संन्यासी जीवन त्यागकर पढ़ाई करने और भविष्य में कुछ बनने की इच्छा जताई है. बता दें कि अब इस लड़की की उम्र 14 साल हो गई है.

महाकुंभ से प्रभावित होकर लिया था संन्यास

यह मामला आगरा के थाना डोकी क्षेत्र के एक परिवार से जुड़ा है, जो अपनी 13 वर्षीय बेटी के साथ महाकुंभ में स्नान करने गया था. महाकुंभ के आध्यात्मिक और साधु-संतों के जीवन से बेटी इतनी प्रभावित हुई कि उसने सांसारिक जीवन छोड़कर साध्वी बनने का फैसला कर लिया.

परिवार के काफी समझाने के बावजूद, किशोरी जूना अखाड़े में चली गई और उसने संन्यास ले लिया. इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं, जिसके चलते जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरी, जिन्हें परिवार ने बेटी सौंप दी थी, उन्हें भी बाद में अखाड़े से निकाल दिया गया था.

नारी निकेतन से गायब होकर पहुंची हरियाणा

शुरुआत में किशोरी परिवार के साथ आने को तैयार नहीं थी, जिसके बाद उसे नारी निकेतन भेजा गया. नारी निकेतन से परिवार उसे एक बार घर ले आया था, लेकिन वह फिर से कहीं चली गई, जिससे परिवार खासा परेशान हो गया और उन्होंने थाना डोकी पुलिस से बेटी की बरामदगी की गुहार लगाई. जानकारी के अनुसार, साध्वी बनी यह किशोरी हरियाणा के एक आश्रम में चली गई थी. पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद उसे बरामद किया.

काउंसलिंग के बाद बदली इच्छा, अब पढ़ाई पर ध्यान

पुलिस द्वारा बरामद किए जाने के बाद 14 वर्षीय किशोरी की लगातार काउंसलिंग कराई गई. इस काउंसलिंग का सकारात्मक परिणाम सामने आया. किशोरी ने बताया, "महाकुंभ में साध्वी बन गई थी, लेकिन अब मेरी काउंसलिंग की गई है तो अब अपने परिवार के साथ जाना चाहती हूं, उन्हीं के साथ रहना चाहती हूं. भविष्य में पढ़ाई कर कुछ बनना चाहती हूं." करीब 10 महीने तक परिवार से दूर रहने के बाद, 14 वर्षीय किशोरी को अब उसके परिवार को सौंप दिया गया है. परिवार ने राहत की सांस ली है और अब वे बेटी के भविष्य और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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