लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान होगा. उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव के बाद पहली चुनावी लड़ाई में कांग्रेस ने जहां उपचुनाव से खुद को बाहर रखा है और अपने सहयोगी दल समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन कर रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने दम पर सभी नौ सीट पर चुनाव लड़ रही है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, बुधवार के उपचुनाव के वास्ते राज्य में 34.35 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे जिनमें 18.46 लाख से अधिक पुरुष और 15.88 लाख से अधिक महिला मतदाता शामिल है.
इन सीटों पर होगा उपचुनाव
शांतिपूर्ण मतदान के लिए पर्याप्त संख्या में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मतदान सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक होगा. उत्तर प्रदेश की जिन नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है उनमें कटेहरी (आंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं.
कितने उम्मीदवार चुनावी मैदान में?
इनमें से आठ सीट मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ में मौजूदा सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है. उपचुनाव में कुल 90 उम्मीदवार मैदान में हैं. सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं. वहीं, सबसे कम पांच-पांच उम्मीदवार खैर (सुरक्षित) और सीसामऊ सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीट पर कब्जा जमाया था. मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी है.
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं.
उपचुनावों के नतीजों का उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह विभिन्न राजनीतिक दलों को एक संदेश देगा. सपा जहां सदन में अपनी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखेगी, वहीं भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद विधानसभा में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश करेगी.
वर्तमान में विधानसभा में भाजपा के 251 विधायक हैं, जबकि सपा के 105 विधायक हैं. भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के 13, रालोद के आठ, सुभासपा के छह और निषाद पार्टी के पांच विधायक हैं. कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो-दो विधायक हैं, जबकि बसपा का एक विधायक है. वर्तमान में दस सीट खाली हैं.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को मतदाताओं से उनकी पार्टी के लिए वोट करने की अपील की. "मैं अपने सभी मतदाताओं, खासकर युवा और किसानों से मदद करने के लिए कहना चाहूंगा. प्रशासन केवल चुनावों में गड़बड़ी पैदा कर सकता है. मुझे उम्मीद है कि प्रशासन बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को बचाने के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेगा.''
भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने मंगलवार को सपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सपा उपचुनाव हारने से डर रही है. अखिलेश यादव हार का ठीकरा निर्वाचन आयोग पर फोड़कर जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं. हार के डर से सपा आयोग से यह बचकानी मांग कर रही है कि पहचान पत्र न जांचे जाएं. जबकि पहले भी बुर्का पहनकर फर्जी मतदान करती महिलाएं पकड़ी जा चुकी हैं.''
शुक्ला सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्यामलाल पाल द्वारा हाल ही में लिखे गए पत्र का हवाला दे रहे थे, जिसमें पाल ने निर्वाचन आयोग से यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था कि ‘‘मतदान के दिन कोई भी पुलिसकर्मी मतदाता के पहचान पत्र की जांच न करे.''
पाल ने निर्वाचन अधिकारियों के लिए पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन मतदान अधिकारी मतदाता का पहचान पत्र जांच सकते हैं. रालोद प्रवक्ता अंकुर सक्सेना ने कहा कि उनकी पार्टी मीरापुर सीट बरकरार रखने जा रही है, जबकि राजग उपचुनाव वाली सभी सीटों पर जीत दर्ज करके क्लीन स्वीप करेगा.
उप्र कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने कहा, 'प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में अपनी पसंद स्पष्ट कर दी है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिली हैं. यह गति निश्चित रूप से उपचुनावों में भी जारी रहेगी.'