उत्तर प्रदेश : नाले में कैसे तब्दील हो गई सुआंव नदी? NGT ने जांच के दिए आदेश, 4 हफ्ते के भीतर कार्रवाई का निर्देश

न्यायमूर्ति ने पाटेश्वरी प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों के उचित जांच और कार्रवाई के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसे चार हफ्ते के भीतर बैठक और संबंधित क्षेत्र का दौरा कर जांच करने और जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
नाले में तब्दील सुआंव नदी की तस्वीर
बलरामपुर (यूपी):

अवैध अतिक्रमण एवं गंदे पानी की वजह से अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रही सुआंव नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं. नदी की दुर्दशा को देखते हुए एक स्थानीय संस्था ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल बेंच, दिल्ली में एक प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी. उक्त पत्र को एनजीटी ने गंभीरतापूर्वक लेते हुए महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं, जिससे अब स्वच्छ, स्वस्थ्य और सुंदर बलरामपुर की उम्मीद जग गई है.

चार नदियों के बीच कृषि भूमि बनाए गए

बता दें कि पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव संरक्षण समिति के अध्यक्ष पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने इसी साल 20 अप्रैल को एनजीटी को दिए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि गोण्डा गजेटियर के अनुसार गोण्डा जनपद में चार नदियां (राप्ती नदी, सुआंव नदी, कुआना नदी व बसुही नदी) बहती थी. 19 अक्टूबर 1984 को जब वन नीति घोषित हुई और वन भूमि एवं कृषि भूमि का अलग-अलग विकास हुए. तब इन चार नदियों के बीच कृषि भूमि बनाए गए और गांव का विकास हुआ. 

सिंह ने कहा, " सुआंव नदी एवं कुआना नदी के बीच वनों व झाड़ियों को काटकर कृषि योग्य बनाया गया. बलरामपुर से सटे सुआंव नदी के तट पर तत्कालीन महाराजा बलरामपुर ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मारवाड़ से कुछ व्यापारी (मारवाड़ी) लाकर बसा दिए, जिसका नाम भगवतीगंज रखा. भगवतीगंज की आबादी बढ़ती गई और सुआंव नदी के किनारे मकान बनते गए, जिससे सुआंव नदी एक नाले के रूप में परिवर्तित हो गई." 

Advertisement

भगवतीगंज के लोगों के जीवन से खिलवाड़

उन्होंने कहा, " सुआंव नदी के किनारे बलरामपुर के तरफ एक चौड़े बांध का निर्माण महाराजा बलरामपुर द्वारा कराया गया, जो भयंकर बाढ़ को झेलते हुए कई बार बलरामपुर शहर को डूबने से बचा चुका है. उसी नदी को सरकार द्वारा अब नाले का रूप दिया जा रहा है और नाले को पाट कर सीवर ट्रीट प्लांट एवं कम्युनिटी हॉल का निर्माण कराया जा रहा है, जो पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है और भगवतीगंज के लोगों के जीवन से बहुत बड़ा खिलवाड़ है."

Advertisement

इस संदर्भ में पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव संरक्षण समिति के अध्यक्ष पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को टाटा टी लिमिटेड बनाम केरल राज्य का प्रतिवाद, नालाथन्नी नदी में अपशिष्ट पदार्थ निर्वहन कराने का मामला तथा अजीज मेहता बनाम राजस्थान सरकार आदि केस का उदाहरण भी दिया है, जिस पर एनजीटी के प्रिंसिपल बेंच के न्यायमूर्ति गण अरुण कुमार त्यागी और डॉ. अफरोज अहमद ने मूल आवेदन संख्या 433/2022 पाटेश्वरी प्रसाद सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य दर्ज कर 31 मई 2022 को सुनवाई की. 

Advertisement

साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करने का निर्देश

इस दौरान न्यायमूर्ति ने पाटेश्वरी प्रसाद द्वारा लगाए गए आरोपों के उचित जांच और कार्रवाई के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमें पर्यावरण वन और जलवायु मंत्रालय लखनऊ, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधियों, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के साथ-साथ जल शक्ति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिला दंडाधिकारी बलरामपुर को शामिल किया है. उक्त समिति को चार सप्ताह के भीतर बैठक और संबंधित क्षेत्र का दौरा कर जांच करने और जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

Advertisement

जांच समिति को विशेष रूप से सुआंव नदी की वर्तमान स्थिति, नदी का बाढ़ प्रभावित मैदानी क्षेत्र की सीमा तथा उसपर हुए अतिक्रमण और अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन द्वारा किए गए प्रयास पर जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. साथ हीं जिलाधिकारी बलरामपुर को तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश देते हुए सुआंव नदी में अवैध निर्माण रोकने का आदेश दिया है. 

यह भी पढ़ें -

..."तो तीन हिस्सों में टूट जाएगा Pakistan"..., Imran Khan ने दी धमकी

भारत में साल 2021 में पूरे साल अल्पसंख्यकों पर हमले हुए : धार्मिक स्वतंत्रता पर US रिपोर्ट

Featured Video Of The Day
India Pakistan Tension : Jammu से Rajasthan तक Chinese Bomb की तरह Fail हुआ Pakistan Drone
Topics mentioned in this article