बूचड़खानों पर अपनी नीति स्पष्ट करे उत्तर प्रदेश सरकार : इलाहाबाद उच्च न्यायालय

राज्य भर में बड़ी संख्या में बूचड़खाने वैध लाइसेंसों के अभाव में बंद करा दिए गए, याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश

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इलाहाबाद हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से गुरुवार को यह जानना चाहा कि बूचड़खानों को चलाने के संबंध में उसकी नीति क्या है. राज्यभर में बड़ी संख्या में बूचड़खाने वैध लाइसेंसों के अभाव में बंद करा दिए गए हैं. मुख्य न्यायधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने झांसी निवासी यूनिस खान द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया.

खान ने मीट की दुकान खोलने के लिए नगर निगम द्वारा लाइसेंस जारी नहीं किए जाने की शिकायत के साथ इस अदालत का रुख किया था. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि झांसी में कोई लाइसेंसशुदा बूचड़खाना नहीं है, इसलिए उसने एक दुकान खोलने के उद्देश्य से लाइसेंस के लिए आवेदन किया था जहां वह पशुओं को काटकर उनका मांस बेच सके. याचिकाकर्ता ने कहा कि लाइसेंस जारी करने में नगर निगम के विफल रहने की वजह से उसके पास ‘‘इस अदालत से हस्तक्षेप की मांग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.’’

उल्लेखनीय है कि इस साल मार्च में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार आने के बाद से बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस वाले बूचड़खानों पर कार्रवाई की गई है. सत्तारूढ़ भाजपा ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में सभी अनधिकृत बूचड़खानों को बंद करने और मशीन से चलने वाले बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था. अदालत ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई तय की है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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