- लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट करके 85 लाख रुपये ठगने के मामले में आरोपी देवाशीष राय को सात साल जेल की सजा सुनाई है.
- आरोपी ने महिला डॉक्टर सौम्या गुप्ता को फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर कॉल किया था और डराकर 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा था.
- यूपी में डिजिटल अरेस्ट मामले में यह पहली सजा बताई जा रही है. सीजेएम कोर्ट ने ट्रायल के एक साल के अंदर सुनवाई पूरी करते हुए सजा सुनाई है.
उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के मामले में पहली बार सजा सुनाई गई है. लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट करके 85 लाख रुपये ठगने के मामले में आरोपी देवाशीष राय को 7 साल की सजा सुनाई है. राय ने फर्जी सीबीआई अधिकारी लखनऊ की महिला डॉक्टर को कॉल किया था और डरा-धमकाकर पैसे ऐंठे थे.
ऐसे की थी महिला डॉक्टर से ठगी
1 मई 2024 को महिला डॉक्टर सौम्या गुप्ता के पास एक कॉल आई. फोन करने वाले ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और महिला डॉक्टर से कहा कि उनके नाम से एक कार्गो में फर्जी दस्तावेज, जाली पासपोर्ट और MDM मिले है. इसके बाद उसने कॉल को एक कथित सीबीआई अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया. महिला डॉक्टर को 10 दिनों तक वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट रखा गया और मामला रफा-दफा करने के नाम पर किश्तों में 85 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए थे.
शिकायत के 5 दिन में आरोपी अरेस्ट
पीड़ित डॉ. सौम्या गुप्ता को जब ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने लखनऊ के साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई. लखनऊ पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए पांच दिनों के भीतर आजमगढ़ के रहने वाले आरोपी देवाशीष राय को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उसने माना कि फर्जी आईडी पर बैंक एकाउंट खुलवाकर प्लान करके उसने ठगी को अंजाम दिया था.
एक साल के अंदर ट्रायल पूरा
सीजेएम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद आरोपी को IPC की धारा 419, 420, 467/468/471 और IT ACT की धारा 66D के तहत दोषी माना और सात साल जेल की सजा सुनाते हुए 50 हजार का जुर्माना भी लगाया. एक साल के अंदर ट्रायल पूरा करते हुए आरोपी को सजा सुनाई गई है. बढ़ते साइबर अपराध का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह आम आदमी की सुरक्षा और भरोसे पर हमला है. ऐसे मामले में तुरंत कठोर कार्रवाई की जरूरत है ताकि समाज में भय कम हो और अपराधियों पर लगाम लग सके.