यूपी चुनाव में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को लेकर BJP और सपा में छिड़ी जंग, जानें क्यों...

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण के लिए नामांकन जारी है. इस बीच सूबे में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो चला है. चुनावी लड़ाई कवितामय हो गई है.

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UP Election 2022 में दिनकर की कविताओं के माध्यम से बीजेपी और सपा साध रहे निशाना
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण के लिए नामांकन जारी है. इस बीच सूबे में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो चला है. चुनावी लड़ाई कवितामय हो गई है. एक तरफ़ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी भाजपा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं के ज़रिए सियासी तीर छोड़ रही है, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी दिनकर जी की कविताओं के ज़रिए ही पलटवार कर रही है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, हाल ही में यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान ने योगी कैबिनेट और बीजेपी से इस्तीफ़ा दे दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इन तीनों नेताओं ने योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य की बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया और पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की उपेक्षा का आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन आरोपों पर अब तक चुप्पी साध रखी थी, लेकिन उन्होंने मंगलवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं के ज़रिए इशारों-इशारों में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा. योगी आदित्यनाथ ने दिनकर के 'रश्मिरथी' महाकाव्य की कुछ पंक्तियां ट्वीट कर लिखा, 'पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर, 'जाति-जाति' का शोर मचाते केवल कायर क्रूर.'

सपा ने किया पलटवार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस वार पर समाजवादी पार्टी ने भी पलटवार किया. सपा ने 'रश्मिरथी' की ही पंक्तियों को ट्वीट कर लिखा, ‘ऊपर सिर पर कनक-छत्र, भीतर काले-के-काले, शरमाते हैं नहीं जगत् में जाति पूछनेवाले.'

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यूपी बीजेपी ने भी छोड़े तीर

सपा के इस पलटवार के बाद यूपी बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी दिनकर की 'रश्मिरथी' की ही पक्तियां ट्वीट कर पलटवार किया गया. यूपी बीजेपी ने लिखा, 'तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के. हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक.''

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सपा ने दोबारा किया पलटवार

भाजपा की तरफ़ से आए ‘सियासी तीर' पर सपा ने दोबारा पलटवार किया और 'रश्मिरथी' की ही पक्तियां ट्वीट कर लिखा, 'जाति-जाति रटते, जिनकी पूंजी केवल पाखंड, मैं क्या जानूं जाति? जाति हैं ये मेरे भुजदंड! जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है। हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.'

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चुनाव आयोग ने कोरोना की वजह से अभी तक सभी दलों के ज़मीन पर आकर चुनावी प्रचार करने पर रोक लगा रखी है. यानी पार्टी सिर्फ़ डिजिटल प्रचार ही कर सकती हैं. ऐसे में अभी से ही राजनीतिक दल इसकी तैयारी में लगे हैं. आगे भी चुनाव में इस तरह के और डिजिटली और रोचक सियासी प्रहार देखने को मिल सकते हैं.

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