बच जाती 18 जिंदगियां... : उन्नाव हादसे की जांच में सड़क पर दौड़ते दिखे 35 'यमराज'!

उन्नाव में घटित बस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई है और ये बस बिना फिटनेस, परमिट के सड़क पर दौड़ रही थीं.

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नई दिल्ली:

यूपी के उन्नाव (Unnao) में दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में 18 यात्रियों की मौत की घटना के बाद प्रशासन हरकत में है. जांच के दौरान पाया गया है कि दुर्घटनाग्रस्त बस यूपी 95 टी 4729 महोबा जिले के आरटीओ में दर्ज है. एक के बाद एक जांच की परते खुली तो एक बड़े नटवरलाल का नाम सामने आया है. जिसके नाम 39 बसे दर्ज़ है, जिसमे 35 बस बिना फिटनेस और परमिट के सड़कों पर दौड़ रही है. ये देख विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया और दुर्घटना की कड़ी जोड़ते हुए ट्रैवल्स एजेंसी के मालिक, ठेकेदार और उक्त नटवरलाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ करने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी गयी है. इस हादसे के बाद तार जुड़े तो पता चला कि बुन्देलखण्ड के महोबा से लेकर दिल्ली और बिहार तक बस माफियाओं द्वारा एक सिंडीकेट बनाकर बसों का संचालन किया जा रहा है. 

एक ही शख्स के नाम रजिस्टर्ड थी 39 बस
बता दें उन्नाव में घटित बस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई है और ये बस बिना फिटनेस, परमिट के सड़क पर दौड़ रही थीं. नतीजन उन्नाव हादसे में 18 लोगों की जिन्दगी खत्म हो गईं . जांच में उक्त दुर्घटनाग्रस्त बस महोबा जिले के खन्ना थाना क्षेत्र के मवई खुर्द गांव निवासी पुष्पेंद्र सिंह के नाम अस्थाई पते पर दर्ज पाई गई. शासन से जानकारी मिलने पर मंडल के आरटीओ उदयवीर सिंह अपनी दो सदस्यीय टीम के साथ महोबा आईटीओ विभाग पहुंचे और उन्होंने जब दस्तावेजों को खंगाला तो वह भौचक के रह गए कि कैसे एक ही व्यक्ति पुष्पेंद्र के नाम पर 39 बस है महोबा एआरटीओ विभाग में दर्ज हैं. जो दिल्ली, बिहार ,जोधपुर राजस्थान सहित कई इलाकों पर बिना फिटनेस, परमिट के सड़कों पर दौड़ रही है.

उठाए गए होते कदम तो नहीं होता हादसा
वर्ष 2018–19 में दर्ज यह सभी बसों की फिटनेस को लेकर यदि विभाग गंभीर होता तो शायद इतना बड़ा हादसा ना होता. सवाल यह भी है कि इतनी बसें बिना फिटनेस के कैसे दौड़ रही थी और अब तक इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. इससे इतना तो साफ़ होता है कि विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ से बसों का सिंडिकेट का कारोबार चल रहा है. मण्डल आरटीओ उदय वीर सिंह ने बताया कि ऐसी सभी बसों को चिन्हित किया जा रहा है जो अस्थाई पते के नाम पर गलत तरीके से दर्ज़ हैं. जिनकी सभी फाइलें मण्डल मुख्यालय में मौजूद है जिसकी जांच के लिए एक टीम बनाई गई है जो ऐसी बसों का डाटा एकत्र कर उन बसों पर कार्रवाई करने का काम करेंगी .

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 रजिस्ट्रेशन किया गया 3 महीने के लिए रद्द
वहीं दूसरी तरफ़ पुष्पेन्द्र के नाम दर्ज़ 39 बसों का डाटा एकत्र कर एआरटीओ दयाशंकर जांच करने में जुट गए है . जिसमे 35 बसों की फिटनेस और परमिट न पाए जाने पर 3 माह के लिए सभी का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया यहीं नहीं ट्रैवल एजेंसी एम.एस. के.सी. जैन मालिक जोधपुर राजस्थान निवासी करम चंद जैन, बस संचालक ठेकेदार पहाड़गंज मध्य दिल्ली निवासी चंदन जैसवाल और रजिस्ट्रेशन अस्थाई पता दिखाकर बसों को संचालित करने वाले नटवरलाल पुष्पेन्द्र सिंह के खिलाफ़ शहर कोतवाली में नामजद तहरीर दी गई है. वहीं एआरटीओ दयाशंकर ने बताया कि मैने आज ही कार्यालय ज्वाइन किया है ऐसे में जानकारी प्राप्त हुई है कि और भी तमाम बस ऐसी है जो दस्तावेजों में हेराफेरी कर महोबा एरआरटीओ कार्यालय में दर्ज है,जिसकी जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी.

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क्या है नटवरलाल पुष्पेंद्र सिंह की सच्चाई? 
जब इस मामले में केयर ऑफ  में पुष्पेंद्र सिंह नामक व्यक्ति के नाम पर दर्ज कई बसों के पते की हकीकत जानने उसके पैतृक गांव मवई खुर्द पहुंचे तो पता चला कि वह वर्षों से यहां नहीं रहता है. बल्कि उसके माता-पिता और अन्य परिजन गरीबी की जिंदगी जी रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ वह खुद कबरई कस्बे में दो मंजिला इमारत में आलीशान जिन्दगी जी रहा है. जबकि घटना के बाद से पुष्पेन्द्र सिंह फरार बताया जा रहा है. उसके पिता इंद्रपाल ने बताया कि उसके घर में अक्सर बसों के कागज आया करते थे लेकिन उसे नहीं पता कि उसके पुत्र के नाम पर कैसे और कितनी बसे दर्ज है. वह खुद यह सुनकर हैरत में है तो वहीं आसपास के ग्रामीण भी यह जानकारी सुनकर दंग रह गए.

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 बहरहाल उन्नाव कांड ने टूरिस्ट परमिट की आड़ पर बिना फिटनेस परमिट के सड़कों पर दौड़ रही यमराज बनी बसों का सिंडिकेट खोलकर रख दिया है, लेकिन अब जरूरत है इस मामले की तह तक जाने की ताकि इसमें जुड़े विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ बड़े नटवरलालों की पहचान हो सके.

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