उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार घुसपैठियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं. इससे घबरा कर छह बांग्लादेशी नागरिक भारतीय नागरिकता मांगने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत गठित जिला स्तरीय कमेटी के सामने पेश हुए.ये बांग्लादेशी नागरिक कमेटी के सामने उचित दस्तावेज पेश नहीं कर सके.अधिकारियों ने उन्हें जरूरी कागजात पेश करने को कहा है. इस मामले में न तो अधिकारियों और न ही बांग्लादेशी नागरिकों ने मीडिया के सवालों के जवाब दिए.
क्या है पूरा मामला
संभल में बिना वैध कागजात के रह रहे छह बांग्लादेशी नागरिक भारत की नागरिकता लेने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं. ये बांग्लादेशी नागरिक भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए जिला स्तरीय कमेटी के सामने पेश हुए. लेकिन इनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं मिले. इसके बाद से कमेटी में शामिल अधिकारियों ने सभी को नागरिकता प्रक्रिया के लिए आवश्यक कागजात पेश करने का निर्देश दिया. इस कमेटी ने पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेज दी है.जब टीम ने कमेटी के अधिकारियों से पूरे मामले पर जानकारी मांगी, तो उन्होंने इसे गोपनीय बताते हुए कैमरे के सामने किसी भी प्रकार की बात करने से इंकार कर दिया।
भारत की नागरिकता मांगने आए बांग्लादेशी महिलाएं और पुरुष मीडिया के कैमरे देखते ही घबरा गए और गलियों में छिपने की कोशिश करने लगे. कई मिनट तक वे इधर–उधर गलियों में छिपे रहे.जब हमने उनसे बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
नागरिकता कानून में संशोधन
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के जरिए 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का कानून बनाया है. इसके तहत जिला स्तरीय कमेटियां गठित की गई हैं. इस कमेटी में डाक विभाग के डाक अधीक्षक, तहसीलदार और आईबी के अधिकारी शामिल हैं. भारत की नागरिकता मांगने वाले बांग्लादेशी इसी कमेटी के सामने पेश हुए.
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