प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कल नोएडा के जेवर में बन रहे देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट (Jewar Airport) का शिलान्यास करेंगे. यह एयरपोर्ट केंद्र और यूपी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है लेकिन जेवर एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद सैकड़ों किसान (Farmers) ऐसे हैं, जो अपने घर टूट जाने के बाद ठंड में तंबू बनाकर रहने को मजबूर हैं. बताया जाता है कि कुछ किसानों को उनके घर गिराए जाने के बाद दूसरी जगह प्लॉट तक नहीं दिए गए हैं वहीं कुछ किसानों को अब तक मुआवज़ा ही नहीं मिला है. NDTV ने इस मसले पर जेवर के SDM रजनीकांत से बातचीत की और वस्तुस्थिति को जानने का प्रयास किया. पेश हैं SDM रजनीकांत से बातचीत के खास अंश..
सवाल : बहुत से किसान उनके घर गिराए जाने के बाद तंबू बना कर रह रहे हैं ?
जवाब : सभी को क़ानून के मुताबिक़ मुआवज़ा दिया गया है.अभी तक हमने ज़मीन का 3300 करोड़ का मुआवज़ा दिया है. पुनर्वासन का लाभ 403 करोड़ दिया गया है. 3003 परिवारों को प्लॉट दिया गया है. हालांकि बहुत से किसानों ने अभी तक मुआवज़ा नहीं लिया है, इनका मुआवज़ा हमने ट्रिब्यूनल में जमा कर दिया है. ये लोग जब चाहें एक प्रार्थना पत्र देकर अपना मुआवज़ा ले सकते हैं . हमने सब कुछ क़ानून के मुताबिक़ किया है.
सवाल : किसानों का आरोप है कि आपने मुआवज़ा शहर के हिसाब से दो गुना दिया है जबकि काग़ज़ में आबादी को ग्रामीण दिखाया गया है? किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवज़ा ग्रामीण आबादी के हिसाब से चार गुना मिलना चाहिए?
जवाब: इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एक्ट के हिसाब से जेवर शहरी क्षेत्र घोषित है. उस हिसाब मुआवज़ा भी शहरी क्षेत्र के हिसाब से दिया गया है. हमने जो किया है वो क़ानून के अनुसार किया है.