राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने रविवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति BJP की कथित ‘‘उदासीनता” उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) में उसे नुकसान पहुंचाएगी. उन्होंने कहा कि “लव जिहाद” और “गो आतंक” जैसे बनावटी मुद्दे काम नहीं करेंगे क्योंकि चुनाव में विकास के मुद्दे ही जीतेंगे. इस साल की शुरुआत में हुए पश्चिम बंगाल चुनावों के बाद ध्यान अब 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनावी लड़ाई की तरफ आने के बीच राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नवनियुक्त अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों की दौड़ में हिंदी पट्टी के इस राज्य को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण अभियान की भेंट नहीं चढ़ने देगी.
पिछले महीने पिता चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद रालोद प्रमुख का पद संभालने वाले जयंत चौधरी ने एक साक्षात्कार में कहा कि उनकी पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच अच्छे संबंध संबंध हैं. उन्होंने कहा कि चुनावों की खातिर औपचारिक गठबंधन के लिए विस्तार से काम करने की जरूरत है. यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश में भाजपा का सामना करने के लिए ‘महागठबंधन' की जरूरत है और क्या बसपा और कांग्रेस ऐसे किसी गठबंधन का हिस्सा होंगे, तो चौधरी ने कहा कि उनके लिए मुद्दे पहले आते हैं और गठबंधन के सभी सहयोगियों के बीच उन मुद्दों पर समझ बनाने की जरूरत होगी.
पंचायत चुनावों में खराब प्रदर्शन के बावजूद विधानसभा चुनावों में कांग्रेस महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, इस पर चौधरी ने कहा कि वह कांग्रेस की योजनाओं एवं संभावनाओं पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री के तौर पर राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों और राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबरों पर, चौधरी ने कहा कि भाजपा महज ध्यान भटकाने की और पार्टी में असंतुष्ट तत्वों को संभालने के लिए बातचीत का भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, “सामाजिक बदलाव शीर्ष के एक या दो नेताओं को बदल देने से नहीं आता. तथ्य यह कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार जाति आधारित गणित में उलझी रही और उसने लोगों को रोजगार, आर्थिक वृद्धि एवं प्रभावी शासन उपलब्ध नहीं कराया है.” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का कोविड-19 प्रबंधन घटिया रहा और कोई भी गंगा में शव मिलने के दृश्यों को भूल नहीं सकता है. चौधरी ने कहा, “अब, साढ़े चार साल बाद नेतृत्व में बदलाव की अफवाहें विफलताओं से ध्यान भटकाने की बेकार कोशिश है.”
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों और चुनाव में इसके मुख्य मुद्दा बन सकने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि किसानों का मुद्दा हमारे देश में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगा और होना चाहिए भी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक वर्ग के तौर पर लंबे वक्त से उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. रालोद प्रमुख ने कहा, “केंद्र के नये कानून निजी क्षेत्र द्वारा पूरे बाजार एवं मूल्य श्रृंखला पर कब्जा करने की अनुमति देते हैं और खरीद से सरकार का पीछे हट जाना और इसके परिणास्वरूप एकाधिकारवाद से उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के हित प्रभावित होंगे.”
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उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति ‘‘उदासीनता एवं असंवेदनशील” रवैया चुनावों में भाजपा का पीछा नहीं छोड़गा और उसे नुकसान पहुंचाएगा. चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई ‘किसान पंचायतों' में शामिल हुए हैं, जहां पिछले कुछ वर्षों में उनकी पार्टी की महत्त्वपूर्ण उपस्थिति रही है और उसने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आक्रामक रूप से प्रचार किया है. उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ विपक्ष की चुनावी संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, “जब देश दुखी और आहत हो रहा है तो हिंदी भाषियों का गढ़ भी माकूल जवाब देगा.''
उन्होंने कहा, “लव जिहाद, गो आतंक, कैराना पलायन और अन्य बेकार बनावटी मुद्दे खारिज होंगे, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं संतुलित विकास के मुद्दे चुनाव में जीतेंगे.” उत्तर प्रदेश में विपक्ष आरोप लगा रहा है कि गो रक्षा के नाम पर राज्य में हिंसा बढ़ रही है. हालांकि, भाजपा इस आरोप से इनकार कर रही है. ‘कैराना पलायन' का मामला 2016 में भाजपा सांसद के उस दावे से संबंधित है कि 350 हिंदुओं ने एक खास समुदाय के आपराधिक तत्वों द्वारा कथित धमकियों और वसूली के चलते कैराना से पलायन कर लिया था. पिछले विधानसभा चुनावों में एक भी सीट हासिल नहीं करने वाली पार्टी की किस्मत कैसे बदलने की योजना है, यह पूछने पर चौधरी ने कहा कि रालोद के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर भविष्य के लिए काम करने की जरूरत है.
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