- आजम खान की पत्नी तंजीन फ़ातिमा ने कहा कि उन्हें किसी से कोई उम्मीद नहीं है.
- कुछ समय से आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्तों पर सवाल उठते रहे .
- इस बीच तंजीन फ़ातिमा का आया ये बयान कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है
- ऐसा कहा जा रहा है कि आजम खान की छवि कट्टर मुस्लिम नेता की बन चुकी है. इसलिए पार्टी उनसे किनारा कर रही है.
जेल में बंद आजम खान से जब उनकी पत्नी तंजीन फतिमा मुलाकात करके आईं, तो उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया. जिसने सबको हैरान कर दिया. तंजीन फतिमा ने आजम खान से मिलने के बाद कहा, उन्हें समाजवादी पार्टी से नहीं बस अल्लाह से उम्मीद है. तंजीन फतिमा का बयान एक प्रयोग था. सोची समझी रणनीति का हिस्सा था. आजम के परिवार को लगा था पार्टी के कई मुस्लिम नेता इस बात पर उनके साथ खड़े होंगे. आजम खान को सहानुभूति का साथ मिलेगा. योगी सरकार की ज़्यादती के खिलाफ लोग सड़क पर उतर कर समर्थन जतायेंगे. लेकिन कुछ ऐसा नहीं हुआ.
एक दौर था आजम खान के कहने पर टिकट मिलते थे. कई बार उनके कहने पर टिकट कटते भी थे. अखिलेश यादव ने आजम के कहने पर किसी को एमएलसी बनाया तो किसी को राज्यसभा भेज दिया. आजम के कहने पर कपिल सिब्बल को निर्दलीय ही अपने पार्टी के समर्थन से सांसद बना दिया. क्योंकि सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में आजम खान का केस लड़ते हैं .आजम खान के समर्थक माने जाने वाले नेताओं की लिस्ट लंबी है. पर इनमें से किसी ने उनका साथ नहीं दिया.
"आजम के लिए पार्टी और कितना करेगी"
आजम खान के पक्ष में किसी भी बड़े नेता का कोई बयान नहीं आया. उल्टे मुरादाबाद के सासंद रहे एसटी हसन ने तो ये कह दिया कि आजम के लिए पार्टी और कितना करेगी. उन्हें समाजवादी पार्टी ने सब कुछ दिया जो वे चाहते थे. आजम खान के खेमे के किसी भी नेता ने एसटी हसन को नहीं रोका. उन्हें नहीं टोका. तो ऐसे में संदेश यही गया कि आजम खान को लेकर समाजवादी पार्टी का भी स्टैंड यही है. मतलब अब पार्टी एक अलग राह पर चल पड़ी है.
पिछले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद और रामपुर के टिकट को लेकर बड़ा हंगामा हुआ था. आजम खान इन दोनों सीटों पर अपनी पसंद के नेताओं को चुनाव लड़ाने चाहते थे. अखिलेश यादव इसके लिए तैयार नहीं थे. समझौते के फार्मूले में मुरादाबाद में एसटी हसन का टिकट काट कर रूचिवीरा को टिकट मिला. आजम खान यही चाहते थे. वे चुनाव जीत कर सांसद बन गईं. उम्मीद थी कि वे खुलकर आजम खान का समर्थन करेंगी. पर उनकी पत्नी तंजीन फ़ातिमा के बयान पर उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि सब हैरान हैं. मुरादाबाद की सांसद रुचिवीरा ने कहा आपस में न लड़ें आजम खान परिवार और अखिलेश यादव जी के बीच कोई नाराज़गी नहीं है. पार्टी ने आजम साहब की काफी मदद की है. दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हैं
मुस्लिम नेताओं का आजम खान से किनारा
समाजवादी पार्टी के अधिकतर मुस्लिम नेता अब आजम खान से किनारा कर चुके हैं. राज्यसभा सांसद जावेद अली खान, लोकसभा सांसद जिया उर रहमान से लेकर कैराना की एमपी इकरा हसन सब खामोश हैं. आजम खान के कट्टर समर्थक माने जाने वाले विधायक फ़हीम अंसारी और नासिर भी बस माहौल भांप रहे हैं. आजम के एक और समर्थक एमएलसी शाहनवाज भी अब उनसे दूर जा चुके हैं. अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी अब नई मुस्लिम नेताओं की नई पीढ़ी को आगे बढ़ा रही है. जिन्हें लिबरल नेता माना जाता है. ऐसे नेताओं के बयान से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होता.
आजम खान के विवादित बयानों से उनकी छवि एक कट्टर मुस्लिम नेता की बनी है. अखिलेश यादव की राजनैतिक डायरी में अब ऐसे नेताओं की ज़रूरत नहीं रही. क्योंकि इनके होने से बीजेपी को हिंदू मुसलमान करने का मौक़ा मिल जाता है. इसीलिए कहा जा रहा है कि आजम अब समाजवादी पार्टी के जरूरी नहीं रहे. वे तो अब बस मजबूरी हैं. लोकसभा चुनाव के शानदार नतीजों के बाद अखिलेश किसी भी सूरत में मजबूर नहीं दिखना चाहते हैं.