जहर नहीं हार्ट अटैक... मुख्तार अंसारी को लेकर सारे सस्पेंस का हो गया द एंड 

मुख्तार अंसारी की मौत पर उनके परिवार ने की थी मजिस्ट्रेट जांच कराने की मांग. इस घटना के पांच महीने बाद अब मौत के पीछे का वो सच सामने आ गया है जिसका इतंजार अंसारी परिजन भी कर रहे थे.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर हुआ बड़ा खुलासा
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और  माफिया रहे मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की मौत से अब पर्दा उठ गया है. दरअसल, मजिस्ट्रेट की जांच में अब ये बात निकलकर आई है कि मुख्तार अंसारी की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. आपको बता दें कि इसी साल 28 मार्च को जब इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी की मौत हुई तो मौत के कारणों को लेकर तरह-तरह के तर्क दिए गए. कहा गया कि मुख्तार अंसारी की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई है, बल्कि उनकी हत्या की गई है. लेकिन अब जब मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट आ गई है तो ये साफ हो गया है कि उनकी मौत हार्ट अटैक की वजह से ही हुई थी. 

अंसारी के परिवार की मांग पर कराई गई थी न्यायिक जांच 

मुख्तार अंसारी की मौत की खबर आने के बाद उनके परिवार के लोगों ने इसे एक साजिश करार दिया था. साथ ही परिवार ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की बात कही थी. परिवार की मांग के बाद ही इस मामले की न्यायिक जांच कराई गई थी. बताया जाता है कि बांदा जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अपर जिलाधिकारी बांदा ने ये जांच की थी. जांच के दौरान मुख़्तार अंसारी के परिजनों को नोटिस भेजने के बावजूद उनका कोई जवाब नहीं आया था. दरअसल नोटिस भेजकर मुख्तार अंसारी के परिजनों को मौत के कारणों में आपत्ति या सबूत सौंपने को लेकर समय दिया गया था.  लेकिन किसी परिजन ने जवाब नहीं दिया.

पांच महीने से ज्यादा समय तक चली जांच

मुख्तार अंसारी की मौत की वजह को लेकर बीते पांच महीने से जांच चल रही थी. पांच महीने की जांच के बाद ही अब इस मामले को लेकर मजिस्ट्रेट ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है. 5 महीने तक जांच में जेल अधिकारियों, कर्मचारियों, मुख्तार का इलाज करने वाले जिला अस्पताल के डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर आदि समेत 100 लोगों के बयान लिए गए थे. 

Advertisement

कौन था मुख्तार अंसारी? कैसे अपराध की दुनिया में जमाया था सिक्का

मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता था. 1988 में लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार अंसारी का नाम पहली बार सामने आया था. इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या बनारस में कर दी गई थी. इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया था. 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया था. अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ था.

Advertisement

1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया था. उस पर रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप था. 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या के भी आरोप लगा. जिसमे अंसारी समेत पांच लोगों पर मुकद्दमा दर्ज कराया गया था. इसके बाद सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर हैंडल करना शुरू किया था. 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में मुख्तार का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया था.

Advertisement

1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बना, पांच बार विधायक रहा था. 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख्तार का नाम क्राइम की दुनिया में छा गया था. कहा जाता था कि 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. इसमें मुख्तार अंसारी के तीन लोग मारे गए थे. अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भी भड़की थी. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Dwarka Golf Course News: VIP Golf Course, पैसे दो, गॉल्फ खेलो | Longest Golf Course DwarkaI Delhi
Topics mentioned in this article