अब 7 दिन में ही खाते में पैसे, 125 दिन की गारंटी, मनरेगा पर यूपी सरकार का  क्या ऐलान, पढ़िए  

गौतम ने कहा कि अब मजदूरों का भुगतान 15 दिन की बजाय सात दिन के भीतर कर दिया जाएगा. उन्होंने मनरेगा योजना का नाम बदले जाने पर बिना नाम लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2009 से पहले यह नरेगा था और फिर जब चुनाव आया तो याद आया कि इसमें महात्मा गांधी जोड़ दिया जाए और इसका नाम मनरेगा हो गया.

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  • उत्तर प्रदेश सरकार ने मनरेगा मजदूरों की प्रतिदिन मजदूरी 252 रुपये निर्धारित करने की पुष्टि की है.
  • मजदूरों का भुगतान अब 15 दिनों के बजाय सात दिनों के भीतर किया जाएगा जिससे भुगतान में तेजी आएगी.
  • विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन अधिनियम के तहत मजदूरों के कार्य दिवसों की संख्या 125 दिन की गई है.
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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश सरकार मनरेगा मजदूरों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. ग्राम्‍य विकास राज्यमंत्री विजय लक्ष्‍मी गौतम ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि मनरेगा मजदूरों की प्रतिदिन मजदूरी 252 रुपये निर्धारित है और चूंकि यह निर्धारण भारत सरकार से होता है, इसलिए इसमें राज्‍य सरकार से वृद्धि अपेक्षित नहीं है.

गौतम ने कहा कि मजदूरों का भुगतान 15 दिन के बजाय अब सात दिन में ही कर दिया जाएगा. उन्होंने मनरेगा की जगह लेने वाले '''विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) अधिनियम'' को विकास में सहायक और प्रभावी बताते हुए यह दावा भी किया कि अब मजदूरों का कार्य दिवस सौ दिन से बढ़ाकर 125 दिन की गारंटी कर दी गई है और इसे विकसित भारत से जोड़ा जाएगा.

विधानसभा शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल में समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्‍य अनिल प्रधान के प्रश्‍न के उत्तर में राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम ने कहा कि मनरेगा के मजदूरों को प्रतिदिन 252 रुपये की दर से मजदूरी प्रदान की जाती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की अधिसूचना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य के लिए मनरेगा मजदूरों की दर 252 रुपये प्रतिदिन निर्धारित है.

बढ़ती महंगाई को देखते हुए मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 700 रुपये किए जाने और वार्षिक कार्य दिवस 300 दिन करने के प्रधान के सवाल पर गौतम ने कहा कि मजदूरी दर निर्धारण एवं अधिकतम रोजगार दिवस निर्धारण भारत सरकार द्वारा ही होता है, इसलिए इस विषय पर राज्य सरकार से निर्णय अपेक्षित नहीं है.

इसके पहले पूरक प्रश्न के दौरान अनिल प्रधान ने कहा कि मनरेगा योजना एक कमजोर वर्ग के व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने इसके नाम में परिवर्तन किया और पहले केंद्र सरकार 100 प्रतिशत भुगतान करती थी लेकिन नये प्रावधान में यह व्यवस्था बदल दी गई.

सपा सदस्य ने सदन में दावा किया कि दो सौ करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश में मजदूरों का बकाया है. उन्होंने कहा कि इतनी महंगाई में उनकी दिनचर्या कैसे चलेगी, यह गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि जब सरकार तकनीक में आगे होने का दावा करती है तो भुगतान में इतना समय क्यों लगता है.

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गौतम ने कहा कि अब मजदूरों का भुगतान 15 दिन की बजाय सात दिन के भीतर कर दिया जाएगा. उन्होंने मनरेगा योजना का नाम बदले जाने पर बिना नाम लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2009 से पहले यह नरेगा था और फिर जब चुनाव आया तो याद आया कि इसमें महात्मा गांधी जोड़ दिया जाए और इसका नाम मनरेगा हो गया.

उन्होंने मनरेगा की जगह लेने वाले विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) अधिनियम को विकास में सहायक और प्रभावी बताते हुए यह भी दावा किया कि अब मजदूरों का कार्य दिवस सौ दिन से बढ़ाकर 125 दिन करने की गारंटी कर दी गई है और इसे विकसित भारत से जोड़ा जाएगा.

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